इंदौर

सब्जी बेच रही मां के पास रिजल्ट का पर्चा लेकर पहुंची जज बिटिया, सफलता देख छलक पड़े आंसू

ठेले पर सब्जी बेचते हैं माता-पिता..ग्राहक ज्यादा आने पर अफसर बिटिया भी बंटाती हैं हाथ…

इंदौरMay 05, 2022 / 04:41 pm

Shailendra Sharma

इंदौर. मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। जी हां इन लाइनों को सच कर दिखाया है इंदौर की एक बिटिया ने। ठेले पर सब्जी बेचने वाले माता-पिता के साथ हाथ बंटाने वाली बेटी ने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और आखिरकार अपनी मेहनत व लगन से वो मुकाम हासिल किया जिसका ख्वाब महलों में रहने वाले परिवारों के बच्चे देखते हैं। हम बात कर रहे हैं इंदौर की अंकिता नागर की, अंकिता ने सिविल जज परीक्षा में एससी कोटे में 5वां स्थान प्राप्त किया है।

 

सब्जी ठेले वाले की अफसर बिटिया
सिविल जज की परीक्षा पास करने वली अंकिता नागर के माता-पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। उन्होंने बताया कि पिता अशोक नागर रोजाना सुबह 5 बजे उठकर मंडी जाते हैं जहां से सब्जियां लाते हैं और मां लक्ष्मी भी सुबह-सुबह ही घर के सारे काम करके पिता की मदद के लिए ठेले पर चली जाती है। इतना ही नहीं ठेले पर शाम के वक्त जब ग्राहकों की ज्यादा भीड़ होती तो अंकिता भी किताबें छोड़ ठेले पर माता-पिता का हाथ बंटाती थी। हालांकि सिविल जज परीक्षा का रिजल्ट कुछ दिन पहले ही आ गया था लेकिन अंकिता ने बताया कि परिवार में गमी होने के कारण परिवार के सभी सदस्य इंदौर से बाहर गए थे। घर में गम का माहौल था इसलिए उसने किसी को भी अपनी सफलता के बारे में नहीं बताया था।

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बेटी की सफलता पर छलके मां के आंसू
माता-पिता के इंदौर वापस लौटने पर अंकिता रिजल्ट का पर्चा लेकर सब्जी के ठेले पर मौजूद मां के पास पहुंची और उसे बताया कि वो सिविल जज बन गई है तो माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खुशी के मारे मां के आंसू छलक पड़े। अंकिता ने बताया कि काफी मेहनत कर माता-पिता ने उसे पढ़ाया है कई बार कॉलेज की फीस न होने के कारण पिता ने कर्ज तक लिया लेकिन कभी भी हिम्मत नहीं हारने दी। अंकिता के परिवार में उसके अलावा एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई है। बड़ा भाई रेत मंडी में मजदूरी करता है जबकि छोटी बहन की शादी हो चुकी है।

 

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तीसरी बार में मिली सफलता
अंकिता ने बताया कि उन्होंने 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया। इसके बाद 2021 में LLM की परीक्षा पास की। वो तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही थीं, दो बार परीक्षा भी दी लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया कि वो रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करती थीं। माता-पिता के साथ ही भाई ने भी उसकी पढ़ाई में काफी मदद की और हमेशा उसका हौसला बढ़ाया।

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