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इंदौर

स्टेट बार काउंसिल चुनाव की तारीख तय होते ही सक्रिय हुए दावेदार

स्टेट बार काउंसिल के मुकाबले में अहम् भूमिका निभाएगा इंदौर

इंदौरAug 21, 2019 / 04:27 pm

हुसैन अली

स्टेट बार काउंसिल चुनाव की तारीख तय होते ही सक्रिय हुए दावेदार

स्टेट बार काउंसिल चुनाव की तारीख तय होते ही सक्रिय हुए दावेदार

इंदौर.स्टेट बार काउंसिल के चुनाव का कल आगाज हो गया। 2 दिसंबर की तारीख निधारित कर दी गई है, जिसमें 25 सदस्यों को चुना जाएगा। इस बार इंदौर अहम भूमिका निभाने वाला है। यहां से एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी मैदान संभालेंगे। इनमें से कई तो पिछले छह माह से काम पर लगे हुए हैं।
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बार काउंसिल चुनाव के लिए मतदाता सुची का प्रकाशन 24 मई को कर दिया था। अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन अब 15 सितंबर को होगा। काउंसिल में करीब 84 हजार सदस्य हैं, लेकिन अब तक 54 हजार ने ही सनद का वेरीफिकेशन व डिक्लेरेशन फॉर्म ऑनलाइन करवाया है। 30 हजार सदस्य अभी भी बाकी है। अगर वे वेरिफिकेशन नहीं करवाते हैं तो वोट डालने के पात्र नहीं होंगे। उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में प्रकाशित नहीं होगा। इंदौर में हाईकोर्ट, जिला व तहसील अदालतों के करीब 5500 अधिवक्ता काउंसिल के सदस्य हैं। इतना बड़ा आंकड़ा होने की वजह से इंदौर से भी बड़ी संख्या में दावेदार उभरकर सामने आ रहे हैं। वैसे तो वे पहले से सक्रिय हैं, लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद प्रचार में तेजी आ गई। दावेदारों की फेहरिस्त में मौजूदा संचालक सुनील गुप्ता के अलावा जय हार्डिया, विवेक सिंह, पीसी जोशी, नरेंंद्र जैन और मिनीश पाठक के नाम प्रमुख है। सोशल मीडिया पर उनकी टीम भी काम कर रही है।
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55 हजार ने करवाया वेरिफिकेशन

इन्दौर अभिभाषक संघ,इन्दौर के पूर्व-सचिव एडवोकेट गोपाल कचोलिया ने बताया कि अभी तक लगभग 55000 वकील अपनी सनद का वैरीफिकेशन करवा चुके हैं। जिन्होंने इस संबंध में घोषणापत्र नहीं भरा है, वे शीघ्र-अतिशीघ्र अपना फार्म या घोषणापत्र भर दें। मतदाता सुची में नाम जुड़वाने के लिए घोषणापत्र भरने की अन्तिम तारीख 15 सितंबर है। अधिवक्ता परिषद् व शासन की तरफ से बीमारी या मृत्यू पर आर्थिक सहायता के अलावा नए वकीलों को व्यवसाय शुरू करने के लिए बारह हजार रुपए भी दिए जाते हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए सनद सत्यापन को लेकर काउंसिल ने निर्देश जारी कर दिए हैं।
नहीं मिलेंगे मेडिक्लेम

बार काउंसिल के सदस्य बिना सनद वेरिफिकेशन के अपनी वकालत तो कर सकते हैं, लेकिन अन्य लाभ उन्हें नहीं मिलेंगे। वोट नहीं डाल पाने के अलावा सबसे बड़ी सुविधा मेडिक्लेम की छीन ली जाएगी। पूर्व में 1 लाख 50 हजार का था, जिसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। वहीं वकील की मृत्यु हो जाने पर भी पांच लाख रुपए मिलेंगे।
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