एसपी के मुताबिक, गिरोह का सरगना कमलेश शर्मा है वह 10वीं तक पढ़ा है और खुद को भट्ट महासभा का अध्यक्ष बताता है और साझा विचार मंच के नाम से संस्था चलाता है। पूछताछ में पता चला कि वह सेक्शन आफिसर बनकर फोन करता था। आरोपी से पता चला कि उसके पास मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी की जाने वाली डायरी थी जिसमें सभी सरकारी अफसरों के नंबर है। इस डायरी से अफसरों के नंबर देखकर उन्हें फोन लगाता था। आरोपी के निशाने पर आबकारी विभाग, जलसंसाधन विभाग, बिजली विभाग, पीडब्ल्यूडी व परिवहन विभाग के अफसर होते थे। आरोपी खुद को पीएमओ के अधीन आने वाले मंत्रालय का सेक्शन अधिकारी बताता था। आरोपी नीरज मोबाइल सिम बेचता है। वह फर्जी नाम से सिम जारी कर धीरज को देता था और फिर इस सिम की मदद से कमलेश अफसर बनकर अधिकारियों को फोन करता था। फोन पर अफसरों को उनके खिलाफ मंत्रालय में हुई भ्रष्टाचार की फर्जी शिकायतों की जानकारी देता था। वह अफसरों को कहता कि आपके भ्रष्टाचार की शिकायत हुई है, केस को बंद करने तथा किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने के लिए वह रुपए की मांग करता। आरोपी धमकी भरे अंदाज में कहता कि उसे पीएमओ को रिपोर्ट देना है, जल्द सेटलमेंट नहीं करने पर अफसर के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।
एसपी के मुताबिक, लोक सेवा आयोग के उप संचालक परमार से आरोपी ने 2 लाख 10 हजार रुपए मांगे थे। आरोपी ने कहा था कि मंत्रालय में 7 सेक्शन अधिकारी है जो भ्रष्टाचार की शिकायत की रिपोर्ट बनाते है। हर सेक्शन अधिकारी को 30-30 हजार रुपए देना होंगे। जब परमार ने पैसा नहीं दिया तो उनसे गाली गलौज व अश्लील बातें की गई थी। छानबीन में पता चला कि आरोपियों ने उज्जैन में पदस्थ आबकारी विभाग के उपायुक्त राजेश हेनरी को भी भ्रष्टाचार की फर्जी शिकायत के सेटलमेंट के नाम पर फोन कर धमकाया था। उपायुक््त ने उज्जैन में केस दर्ज कराया है।