MUST READ: फायदेमंद वैक्सीन: टीके के बाद भी लोगों को हो रहा कोरोना संक्रमण, लेकिन जान को खतरा नहीं
कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा बुजुर्गों को प्रभावित किया है। पुलिस के सत्यकॉम कोरोना वॉलंटियर के पास बुजुर्गों के कई फोन आ रहे हैं। उनकी मदद भी की जा रही। दरअसल संक्रमण के चलते किसी का पति तो किसी की पत्नी की जान चली गई है। जीवन साथी के जाने से बुजुर्ग अकेले हो गए हैं, इनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। परिचित या रिश्तेदार साथ नहीं दे रहे।
बीमारी को तो वे मात दे चुके है पर अकेलेपन से नहीं लड़ पा रहे। यही वजह है कि वे फोन लगाकर अफसरों से वापस अस्पताल में भर्ती कराने की गुहार लगा रहे हैं। उनका तर्क है, घर में अकेले रहने से अस्पताल में लोगों के बीच तो रहेंगे। वहां देखरेख तो होगी।
केस 1
द्वारकापुरी क्षेत्र के 78 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना से तो जंग जीत गए पर अकेलेपन से हार गए। उनकी पत्नी की कुछ दिन पहले मौत हो गई। घर सूना है, इसलिए वे राधा स्वामी कोविड सेंटर में भर्ती होना चाहते हैं, ताकि वहां वे लोगों से बात तो कर सकेंगे।
केस 2
सरकारी विभाग से रिटायर बुजुर्ग भी अकेलेपन से परेशान हैं। उन्होंने बताया, उनके पास दो करोड़ का मकान है पर देखरेख करने वाला कोई नहीं। 3 दिन तक खाने को कुछ नहीं था। अब सत्यकॉम वॉलिंटियर उनकी देखरेख कर रहे हैं।