फिटनेस सेंटर में हर दिन 15 से 20 वाहनों में जीपीएस व पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं। भले ही मंत्रालय ने इसे लागू करवा दिया है, लेकिन जिस उद्देश्य से इस नियम को बनाया गया है, वो फिलहाल पूरा नहीं हो रहा, क्योंकि जीपीएस की मॉनिटरिंग के लिए किसी सरकारी एजेंसी के पास सर्वर नहीं है। न पैनिक बटन दबाने पर कोई मदद के लिए आएगा। पूरी जिम्मेदारी वाहन मालिक की ही है।
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DAVV में लगी धारा-52, अब सरकार नियुक्त करेगी कुलपति, जानिए पूरा मामला जानकारी अनुसार यात्री वाहनों में लग रहे जीपीएस और पैनिक बटन की निगरानी तीन जगहों पर एक साथ होना है। वाहन तय गति से अधिक चलने और यात्री द्वारा पैनिक बटन दबाने पर तीन जगह पर मैसेज जाएगा। पहला पुलिस के पास डॉयल 100 के रूप में, दूसरा आरटीओ स्थित सेंट्रल सर्वर में और तीसरा मैसेज वाहन स्वामी के मोबाइल पर आएगा। फिलहाल सरकार सर्वर ही नहीं बना पाई है, इसलिए पूरी जिम्मेदारी वाहन स्वामी की होगी।
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इस चीज में निवेश से आज होगा जबरदस्त लाभ, इन्हें मिलेगी चौंकाने वाली खबर देवास-उज्जैन जा रहे लोग जानकारी के अनुसार जीपीएस और पैनिक बटन अनिवार्य होने से फिटनेस सर्टिफिकेट के दाम भी 4 से 6 हजार रुपए तक बढ़ गए हैं। ऐसे में कई वाहन चालक देवास-उज्जैन जाकर वाहनों का फिटनेस करवा रहे हैं, क्योंकि वहां जीपीएस और पैनिक बटन फिलहाल लागू नहीं किया गया है।