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इंदौर

ये चिंता की बात है…गर्मी शुरू हुई नहीं और इंदौर रेड जोन में

बोरवेल का गिरने लगा जल स्तर, प्राथमिक तौर पर करवाई गई जांच में खुलासा, पानी की किल्लत दूर करने की कवायद में लगा नगर निगम
 

इंदौरFeb 25, 2019 / 11:11 am

Uttam Rathore

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ये चिंता की बात है…गर्मी शुरू हुई नहीं और इंदौर रेड जोन में

उत्तम राठौर.इंदौर. गर्मी ने अभी पूरी तरह से दस्तक नहीं दी है और बोरवेल का जल स्तर गिरने लगा है। इसका खुलासा उस जांच से हुआ, जो नर्मदा प्रोजेक्ट वालों ने अभी प्राथमिक तौर पर करवाई है। गिरते वॉटर लेवल को देखते हुए गर्मी के दिनों में होने वाली पानी की किल्लत को दूर करने की कवायद में नगर निगम लग गया है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने गिरते भूजल स्तर को देखते हुए इंदौर शहर को रेड जोन में शामिल किया है।
एक तरफ जहां बोरवेल कराने के लिए कलेक्टर ऑफिस से लेकर नगर निगम में ढेरों आवेदन पेंडिंग पड़े हैं, वहीं शहर में धड़ल्ले से अवैध रूप से बोरवेल हो रहे हैं। इसको लेकर पिछले दिनों हुई जिला योजना समिति की बैठक में खूब हंगामा मचा था। थानों पर अफसरों की सेवा और सेटिंग कर नलकूप खनन के आरोप भी लगे। इस माथापच्ची के बीच यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि अभी गर्मी पूरी तरह से शुरू हुई नहीं और मौजूदा बोरवेल का वॉटर लेवल गिरने लगा है। निगम के अंतर्गत काम करने वाले नर्मादा प्रोजेक्ट के अफसरों ने यह खुलासा किया है। गर्मी से पहले प्राथमिक तौर होने वाली जांच के दौरान वॉटर लेवल नीचे जाने की बात सामने आई है। इस हिसाब से गर्मी में शहर को पानी की किल्लत झेलनी पड़ सकती है, क्योंकि अमृत प्रोजेक्ट के तहत बन रही टंकी और डल रही सप्लाय पाइप लाइन का काम अगली गर्मी तक पूरा होगा। ऐसे में जनता को इस बार गर्मी में जलसंकट झेलना ही पड़ेगा। हालांकि इससे निपटने की कवायद में निगम लग गया है। इसके लिए प्रायवेट टैंकर लगाने को लेकर टेंडर जारी हो गए हैं।
गिरते भूजल स्तर को देखते हुए इंदौर शहर को रेड जोन में शामिल किया गया है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने इंदौर को रेड जोन घोषित किया है। बोर्ड ऐसी स्थिति में बोरवेल करने की अनुमति देने को कह रहा है, जहां पर पानी को लेकर कोई स्रोत नहीं और पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। बावजूद इसके कलेक्टर और निगम में बैठे अफसरों की अनदेखी के चलते शहर में अवैध तरीके से बोरवेल हो रहे हैं, जबकि कलेक्टर ने नए नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा रखा है। साथ ही अवैध बोरवेल होने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, जो कई बार नहीं होती।
नियम ताक पर रख हो रहे
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड का नियम है कि खाली प्लॉट पर बोरवेल की परमिशन नहीं दी जाएगी। कारण बोरवेल कराने के बाद पानी का उपयोग मकान बनाने में होता है। मकान बनाने के लिए निगम ने सीवरेज के ट्रीट पानी का उपयोग करने का नियम बना रखा है, ये दोनों नियम ही ताक पर रख प्लॉट पर बोरवेल किया जाता है।
सेवा कराकर ही दे रहे परमिशन
बोरवेल को लेकर परमिशन देने के अधिकार कलेक्टर ने एसडीएम को दिए हैं। बताया जा रहा है कि आवेदन लगने के बाद दलाल टाइप के लोग सक्रिय हो जाते हैं और परमिशन दिलाने के नाम पर अपना खेल जमा लेते है। इंदौर जिले की तहसीलों में यह खेल चल रहा है। अफसरों की सेवा कराकर परमिशन दिलाई जा रही है। इसके अलावा परमिशन मिलने पर अड़चन आने पर तगड़ी सेवा कराकर अवैध तरीके से बोरवेल कराए जा रहे हैं।
सैकड़ों आवेदन निगम में जमा
बोरवेल को लेकर कलेक्टोरेट में लगने वाले आवेदन मंजूर होने के पहले निगम के पास आते हैं। यहां से ग्राउंड रिपोर्ट ओके होने के बाद ही परमिशन मिलती है। बताया जा रहा है कि निगम ने अभी ढेरों आवेदन आगामी गर्मी को देखते हुए परमिशन न देने की टिप्पणी लिखकर भेज दिए हैं। बोरवेल की परमिशन देने वाली समिति ने भी निरस्त कर दिए हैं। ऐसे आवेदन की संख्या सैकड़ों में है।
आवेदन निरस्त ही कर रहे हैं
जांच कर पूरी ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही बोरवेल की परमिशन देना है या नहीं, इसकी रिकमेंट की जा रही है। वैसे आगामी गर्मी को देखते हुए बोरवेल के सारे आवेदन निरस्त कर रहे हैं, क्योंकि वॉटर लेवल तेजी से गिर रहा है।
संदीप सोनी, अपर आयुक्त, जल यंत्रालय एवं ड्रेनेज विभाग
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