भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पिछले चार साल से पश्चिम बंगाल में जुटे हुए थे। आखिर उसका परिणाम सुखद आ ही गया। पार्टी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। चार साल पहले विधानसभा चुनाव में तो उन्हें ठीक से प्रचार तक नहीं करने दिया गया था। एक तरह से तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने उनकी घेराबंदी कर दी थी। उसके बाद भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी जिसका ये परिणाम सामने आया। इसमें अहम रोल विजयवर्गीय का रहा। बंगाल का प्रभार होने की वजह से विजयवर्गीय ने भी इंदौर लोकसभा से चुनाव लडऩे सेइनकार कर दिया था जबकि उनके लिए इससे अच्छा मौका नहीं था।
इधर, चुनाव परिणाम आने के बाद विजयवर्गीय जब भी इंदौर आएंगे उनका गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा जिसके लिए दो नंबरी भाजपाई रणनीति तैयार कर रहे हैं। विधायक रमेश मेंदोला व तीन नंबर विधायक आकाश विजयवर्गीय इसके सूत्रधार हैं। योजना है कि एयरपोर्ट से नंदा नगर तक रैली जुलूस निकाला जाए। जगह -जगह उनका स्वागत भी किया जाए। ठीक उसी तरह आयोजन हो जैसा पहली बार पीडब्ल्यूडी मंत्री और बाद में राष्ट्रीय महासचिव बनकर लौटने के समय किया गया था।
खड़ा हुआ एक संशय कल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के पिता प्रेमसिंह चौहान का निधन हो गया। राजनीतिक तौर पर विजयवर्गीय की पटरी कुछ समय से नहीं बैठ रही है, लेकिन दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ता आज भी मजबूत है। ऐसी स्थिति में अब गेंद विजयवर्गीय के पाले में है। कहीं ऐसा न हो कि वे आयोजन से इनकार कर दें। इसके चलते शुरुआती हलचल के बाद बाकी तैयारियां शुरू नहीं की गई। विजयवर्गीय वर्तमान में दिल्ली में हैं। संभावना है कि आज भोपाल पहुंच सकते हैं। उसके बाद तय नहीं है कि इंदौर आएंगे या नहीं?