ग्रुप के सुधीर दांडेकर और राजेश शाह ने बताया कि 24 से अधिक उत्पादक तरह-तरह के आम लेकर आए हैं। 15 मई तक चलने वाले आयोजन में आमों के साथ आम उत्पाद और पहली बार मराठी व्यंजनों का स्वाद भी शहर की जनता ले सकेगी। तृप्ति महाजन और सुमेधा बावकर ने बताया कि झूणका भाकर, ठेचा, अप्पे, श्रीखंड-पूरी, मैंगो मस्तानी और अनारसे का स्वाद भी जत्रा में मिलेगा। ढक्कनवाला कुआं स्थित ग्रामीण हाट बाजार में सुबह 9 से रात 9 बजे तक जत्रा खुला रहेगा। शुक्रवार को पहले ही दिन बड़ी संख्या में लोग तरह-तरह के आमों का स्वाद चखने के लिए उमड़ पड़े।
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जीआई टैग वाले ओरिजनल हापुस
देश में कई जगहों पर हाफुस के नाम पर अन्य वैरायटी के आम की बिक्री होती हैं, लेकिन ओरिजनल हापुस आम देवगढ़ और रत्नागिरी में ही पैदा होते हैं। यहां की जलवायु आमों को खास बनाती है। सरकार ने हमारे आमों को प्रमाणित किया है। देवगढ़ और रत्नागिरी के हापुस ही ओरिजनल होते हैं जिसका मैंगों जत्रा में लोग लुत्फ उठा सकेंगे।
संकेत पुजारे, उत्पादक
समुद्री हवाएं देती है लाजवाब स्वाद
हमारे बाग में 700 पेड़ हैं। मैंगों जत्रा के लिए हम 100 पेटी आम लाए हैं। देवगढ़-रत्नागिरी समुद्र के आसपास के इलाके हैं। समुद्री हवाएं और मिट्टी यहां पैदा होने वालो आमों को खास बनाती है। जलवायु के कारण आमों की मिठास और महक दोगुनी होती है। आमों की खासियत होती है कि ये मीठे होने के साथ ही स्वाद में लाजवाब होते हैं।
-सुनील पंवार, उत्पादक
काली-लाल मिट्टी से महक उठता है आम
एक पेड़ पर 200 से 300 ग्राम के आम उगते हैं। समुद्री हवाओं के साथ ही यहां की काली-लाल मिट्टी के मिश्रण में फल बाग होते हैं। इस वजह से यहां पैदा होने वाले आम हर कोई पसंद करता है। मैंगो जत्रा में शहर के लोग पायरी भी खरीद सकते हैं। ये आम हापुस से भी मीठा होता है। अन्य आमों के मुकाबले इसमें रस ज्यादा होता है।