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इंदौर

बच्चे अब भी वैक्सीन सुरक्षा कवच से दूर, सिर्फ 54 हजार को लगा टीका

आधे से ज्यादा बच्चे अब भी वैक्सीन सुरक्षा कवच से से दूर12 से 14 आयु वर्ग के 1 लाख 15 हजार में से अब तक 54,691 को ही लग सका टीका

इंदौरApr 01, 2022 / 04:09 pm

Ashtha Awasthi

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इंदौर। कोरोना संक्रमण की मार से बच्चों को बचाने के लिए चल रहा वैक्सीनेशन अभियान अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है। स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद दिनों दिन वैक्सीनेशन कराने वालों की संख्या कम हो रही है। गुरुवार को 12 से 14 आयुवर्ग के सिर्फ 4472 बच्चों को ही टीके लगे, जो अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। 15 से 17 आयुवर्ग में वैक्सीन लगाने के बाद 23 मार्च से 12 से 14 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हुआ है।

जिले में इस आयुवर्ग के 1 लाख 15 हजार बच्चे चिन्हित हुए हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि 1 अप्रैल तक इन सभी को पहला डोज लग जाएगा। पहले दिन ही 40 हजार बच्चों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य था, जिनमें से 15060 को ही टीके लगे थे। इसके बाद के दिनों की स्थिति और कमजोर होती चली गई। 24 मार्च को 12242, 26 मार्च को 10051, 28 मार्च को 5509 और 30 मार्च को 6302 को ही वैक्सीन लगे। तक वे दूसरा डोज भी लगा सकेंगे।

अधिकारियों के अनुसार ज्यादातर स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां होने के कारण अब तक आधे बच्चों को भी वैक्सीन नहीं लग पाया है। टीकाकरण को रफ्तार दिलाने के लिए अब स्कूल शिक्षा विभाग के जरिए स्कूलों में जागरुकता अभियान शुरू करने की कोशिश की जा रही है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. तरुण गुप्ता ने बताया, ज्यादातर स्कूल में छुट्टियां होने के कारण अभी 12 से 14 आयुवर्ग का टीकाकरण प्रभावित हो रहा है। अगर बच्चों को अभी पहला डोज लग जाता है तो मई

आरआरटी टीमों का आस्तित्व खत्म, स्थायी कर्मी करेंगे जांच

कोरोना संक्रमण के बीच चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए रखे गए अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही आरआरटी टीमों का आस्तित्व भी खत्म हो गया। अब कोरोना संक्रमण की जांच स्वास्थ्य विभाग के स्थायी कर्मियों से ही कराई जाएगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 31 अप्रैल से सेवा समाप्त करने के आदेश जारी किए हैं। इससे वे 70 स्वास्थ्यकर्मी फिर घर बैठ जाएंगे, जो कोरोना के दौरान आरआरटी टीम में शामिल थे। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आरआरटी टीम का काम पहले की तरह जारी रहेगा। अब स्थायी कर्मियों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

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