कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के प्रोटोकॉल में बड़ी चूक का मामला सामने आया है। थावरचंद गहलोत ने उनके प्रोटोकॉल में बड़ी लापरवाही को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उनके काफिले की एंबुलेंस में डॉक्टर, दवा व संसाधन नहीं होने की शिकायत पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लेकर कलेक्टर तक ने मामले में संज्ञान लिया और कार्रवाई की। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल अधिकारी प्रवीण सांखला को निलंबित कर दिया।
दरअसल, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत शुक्रवार को परिवार के सदस्यों के साथ ओंकारेश्वर गए थे। इस दौरान उनकी नातिन ऊर्जा सोलंकी (30) की बीच रास्ते में तबीयत बिगड़ गई। उन्हें घबराहट होने लगी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। गहलोत के काफिले में मौजूद एंबुलेंस में ही उपचार की व्यवस्था देने के लिए जैसे ही एंबुलेस को आगे लाया गया, तब उसमें कोई डाक्टर मौजूद नहीं था। न ही ऑक्सीजन और जीवनरक्षक किट मौजूद थी। इसके बाद नातिन को इंदौर के बॉम्बे अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टरों की निगरानी में इलाज किया गया। इसके बाद अब नातिन की तबीयत ठीक बताई जा रही है।
कर्नाटक के राज्यपाल इस घटना के बाद काफी भड़क गए थे। उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को जमकर फटकार लगाई। इसके बाद मामले में जिम्मेदार व्यक्ति का पता लगाने को कहा गया। राज्यपाल ने कलेक्टर को फोन पर यहां तक कह दिया कि मिस्टर कलेक्टर, यदि नातिन की जगह मैं होता तो आपकी व्यवस्था मेरी जान बचा सकती थी क्या? अच्छा रहा, नातिन की तबीयत संभल गई।
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत की नातिन की तबीयत बिल्कुल ठीक है। जब कारकेट में उनकी नातिन की तबीयत खराब हुई तो उसी वक्त एंबुलेंस में कोई डॉक्टर नहीं था, जिसके कारण कार्रवाई की गई। नातिन को तुरंत इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। अब उनकी तबीयत ठीक है। आशीष सिंह ने कहा कि एंबुलेंस में डॉक्टर नहीं होने के कारण प्रोटोकाल अधिकारी प्रवीण सांखला को निलंबित कर दिया गया है।