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changemakers – राष्ट्रीय मुद्दों और लोगों की जरूरत को समझने वाला प्रत्याशी उतारें पार्टियां

‘पत्रिका’ संडे क्लब मीटिंग : अपराधिक छवि वालों के लिए पार्टियां खुद बनाएं गाइड लाइन

इंदौरMar 18, 2019 / 03:15 pm

रीना शर्मा

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chang makers – राष्ट्रीय मुद्दों और लोगों की जरूरत को समझने वाला प्रत्याशी उतारें पार्टियां

इंदौर. लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही संसद के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं को लेकर बहस छिड़ गई है। हमारा उम्मीदवार कैसा हो? क्षेत्र के मुद्दे क्या हों? ऐसे सवालों को लेकर ‘पत्रिका’ ने परिचर्चा आयोजित की, जिसमें प्रबुद्धजनों ने कहा, राजनीतिक दल जीतने वाले उम्मीदवार की मानसिकता से ऊपर उठें और मतदाताओं के सामने एक ऐसा उम्मीदवार उतारें, जो राष्ट्र के मुद्दों और लोगों की जरूरत को समझे। सभी पार्टियां उम्मीदवारी के लिए गाइड लाइन बनाएं। अन्यथा मतदाता के सामने तो वोट देने की मजबूरी है, उसे उन्हीं में से चुनना पड़ेगा, जो पार्टी थोप रही है। मालवा चैंबर्स ऑफ कॉमर्स में आयोजित ‘पत्रिका’ पॉलिटिकल क्लब की परिचर्चा में संसद में लगातार हंगामे व देश हित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा नहीं होने जैसे सवाल सामने आए। ज्यादातर वक्ताओं का मानना है कि एेसा पार्टियों द्वारा अपरिपक्व उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में उतारने से हो रहा है।
वक्ताओं ने राजनीतिक पार्टियों के समक्ष सवाल उठाया कि एेसी क्या मजबूरी है, जो अपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को टिकट देना पड़ते हैं। पार्टियां खुद गाइड लाइन बनाएं और उसी के अनुसार उम्मीदवार उतारें। परिचर्चा में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रीतमलाल दुआ, शिक्षाविद प्रो. बीके निलोसे, नगरीय नियोजन विशेषज्ञ अजीतसिंह नारंग, एसएल शर्मा, एसएस पाल, इंजीनियर महेश राजवैद्य, मुकेश अग्रवाल, मनीष सिंह राठौर, विमल कोरिया, डॉ. पी गंधे, दीपक भंडारी, मालासिंह ठाकुर, एसकेएस कुमार, भारती मंडोले, हितेश जैन, रोटेरियन गजेंद्र नारंग आदि मौजूद रहे।
जाति या धर्म के आधार पर न हो चयन

-एआइएमपी के आलोक दवे ने कहा, राजनीतिक दलों को उम्मीदवार की राष्ट्रीयता, देश व समाज के प्रति जिम्मेदारी जैसे मुद्दों पर समझ को परखना चाहिए।
-प्रो. एसएल गर्ग ने कहा, चयन जातिवाद या धर्म आधारित न हो। शिक्षित व कार्य करने वाला उम्मीदवार लाएं, जो अपने क्षेत्र व देश की बात संसद में रख सके।

-प्रो. उदय जैन ने कहा, पार्टियों को अपने एजेंडे के अनुरूप अच्छे व जुझारू लोगों को टिकट देना चाहिए।
-अभ्यास मंडल के अशोक कोठारी ने कहा कि उम्मीदवार चरित्रवान हो, जो स्थानीय जरूरतों को समझे। बाहुबली प्रत्याशी खड़ा नहीं करेंगे, तो राजनीति स्वत: ही स्वच्छ हो जाएगी।

-सुनील माकौड़े ने कहा, राजनीति जिम्मेदारी वाला पेशा है। इसमें दलों को आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को आगे नहीं लाना चाहिए।
-प्रो. रमेश मंगल ने कहा, स्वच्छ राजनीति का अर्थ आदर्शों पर सिद्धांतों पर चलना होता है। एक उम्मीदवार किस वर्ग या समाज से है, मायने नहीं रखता है।

-समाजसेवी भारती मंडोले ने कहा, महिलाओं को कागजों पर तो 50 फीसदी अवसर दे दिया, इसे धरातल पर लाने की जरूरत है।

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