ऐसे बनते हैं पटेटो क्यूब आलू छीलकर क्यूब तैयार करते हैं। फिर से धोया जाता है, जिससे स्टार्च खत्म हो जाता है। इसके बाद ब्लांचिंग मशीन में आधा उबाला जाता है। इसके बाद सूरज की रोशनी में सुखाया जाता है। अंत में 1, 5, 10 और 20 किलो की पैकेजिंग कर व्यापरियों को आगे बढ़ा दिया जाता है। महू गत वर्ष 300 टन से पेटेटो क्यूब तैयार किए गए थे।
एक किलो क्यूब 6 किलो आलू के बराबर कारखाना संचालक मुकाती ने बताया कि इन पटेटो क्यूब की मांग उन जगहों से अधिक आती है। जहां पर आलू आसानी से नहीं मिल पाता है। पहाड़ी इलाके और खाड़ी देशों में इसकी खासी डिमांड है। एक किलो आलू क्यूब को गर्म पानी में डालने पर 6 किलो आलू तैयार हो जाते हैं। इसका स्वाद भी ताजे आलू की तरह ही होता है।
नहीं मिल रहा सरकार का साथ कारखाना संचालकों ने बताया कि इस उत्पाद को लेकर सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। हम सीधे व्यापारियों की डिमांड पर प्रोडक्ट तैयार करते है और आगे की प्रक्रिया व्यापारी करते हैं। प्रशासन की ओर से इस सेक्टर को आगे बढ़ाने की बात तो की जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है।
किसानी छोड़ शुरू किया कारखाना भगवती प्रसाद मुकाती 2003 तक खेती किसानी करते थे। इसके बाद आलू चिप्स बनाने का छोटा कारखाना शुरू किया। 5 साल पहले पपेटो क्यूब तैयार करना शुरू किया। मुकाती ने बताया कि व्यापारियों की मांग पर साइज 5 से 15 एमएम तक के क्यूब तैयार करते हैं। लूज पैकेजिंग कर उन्हें सप्लाय करते हैं। व्यापारी एक्सपोर्ट पैकिंग कर विदेश भेजते है। वर्तमान 4.5 संचालक पटेटो क्यूब बना रहे हैं।
यूएस से लिया आइडिया कारखाना संचालक मधु माहेश्परी ने बताया कि 20 साल पहले यूएस में इस तरह के गाजर, आलू के क्यूब देखे थे। वहां प्रक्रिया समझकर यहां आलू से क्यूब तैयार करना शुरू किए। इसकी डिमांड बढऩे लगी। आर्मी भी 100 से 200 टन पटेटो क्यूब महू के कारखानों से ही लेती हैं। पूरे भारत में सिर्फ कोदरिया में ही यह क्यूब तैयार किए जाते हैं।