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क्या आप जानते हैं, 10 में से हर दूसरा व्यक्ति किस बात से डरता है !

Indore News : ‘असफलता को कैसे स्वीकार करें’ विषय पर आयोजित सेमिनार में साइकैट्रिस्ट डॉ. पवन राठी ने स्टूडेंट्स को किया संबोधित, बताए असफलता हावी होने के लक्षण

इंदौरFeb 12, 2020 / 05:48 pm

राजेश मिश्रा

क्या आप जानते हैं, 10 में से हर दूसरा व्यक्ति किस बात से डरता है !

क्या आप जानते हैं, 10 में से हर दूसरा व्यक्ति किस बात से डरता है !

इंदौर. क्या आपको अपना बचपन याद है? साइकिल चलाना सीखने के दौरान आप कितनी बार गिरे थे? शायद आज साइकिल सीखना होती तो हम नहीं सीख पाते, क्योंकि अब हमें असफलता से डर लगता है। हम बचपन में जब साइकिल चलाते वक्त गिरे तो वापस खड़े हुए और अपनी गलती को चैलेंज किया और आगे बढ़े। उस वक्त हम गिरते थे और फिर उठकर सीखते, क्योंकि हमें दूसरों से फर्क नहीं पड़ता था, सिर्फ अपने लक्ष्य से मतलब था। आज जब हम बड़े हो गए हैं, तब हमारी प्रॉब्लम फेलियर से बड़ी होती है कि हमारे आसपास लोगों की सोच और व्यवहार हमारी असफलता के बाद कैसा होगा? जिंदगी में जैसे साइकिल चलाना सीखी है वैसे ही हर समस्या के प्रति अपना नजरिया रखें तो सफलता अवश्य मिलेगी। हर 10 में से दूसरा व्यक्ति जीवन में असफलता से डरता है और डिप्रेशन की ओर जाता है। हर 100 में से एक व्यक्ति सुसाइडल फील करता है जिसके कई कारण हो सकते है। ऐसे में सफल लोगों से प्रेरणा लें। यह बात क्रिएट स्टोरीज द्वारा प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में ‘असफलता को कैसे स्वीकार करें’ विषय पर आयोजित सेमिनार में साइकैट्रिस्ट डॉ. पवन राठी ने कही। इस कार्यक्रम में डॉ. अजीत उपाध्याय, डॉ. सतनाम उबेजा, डॉ. प्रज्ञा केशरी विशेष रूप से उपस्थित रहे। संचालन दीपक शर्मा ने किया।
उन्होंने कहा, जब भी हम कुछ प्लान करते है, कुछ हासिल करते है, परिणाम जैसा सोचा वैसा आता है, तब हमें बहुत अच्छी फीलिंग होती है। लेकिन यदि हमारा सपने बिखर जाए, प्रमोशन न हो, जैसा सोचा वैसा न कर पायें, तब ‘कोर्टिसोल’ नाम का एक हॉर्मोन रिलीज होता है। जब इफेक्ट लांग टर्म होता है तब ये हॉर्मोन बढ़ता जाता है और हमारी मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों पर असर डालता है। कई बार यह जानलेवा भी साबित होता है।
अगर व्यवहार में इस तरह के बदलाव दिखें तो रखे विशेष ध्यान
-लंबे समय तक चलने वाली उदासी या चिड़चिड़ापन या गुस्सा
– लो मूड ( जैसे यदि अपने बेस्ट फ्रेंड से बात करके अच्छा लगे फिर वापस मूड लो हो जाना )
-अत्यधिक भय या चिंता
-समाज से दूरी बनाना
-खाने या सोने की आदतों में बदलाव
– किसी भी प्रकार का एडिक्शन

फेलियर को किस तरह करें स्वीकार
-फेल का मतलब फस्र्ट एटेम्पट इन लर्निंग यानी सीखने के लिए पहला कदम।
– फेलियर का मतलब ‘द एंड’ नही होता, सिर्फ एक स्पीड ब्रेकर होता है जिसे शांत और पॉजिटिव रहकर पार कर सकते है।
– सेल्फ एनालिसिस करें, आपकी ताकत, खामिया और खूबियों को पहचानने का प्रयास करें।

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