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1 जून से होगी लागू
पहले यह नियम 15 जनवरी से ही लागू होना था, लेकिन कोरोना के चलते इसे एक जून से लागू किया जाएगा। मप्र सराफा एसोसिएशन के सचिव संतोष सराफ ने बताया, नीति आयोग के नियमों के अनुसार हर जिले में कम से कम एक हॉलमार्किंग सेंटर होना चाहिए, लेकिन इसके बिना ही सरकार नियम एक जून के अनिवार्य कर रही है। कानून लागू होने से सोने का कारोबार करने वालों की असुविधा के साथ-साथ जोखिम बढ़ जाएगी। इसकी विसंगतियों को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका भी विचाराधीन है।
900 हॉलमार्किंग सेंटर
उनके अनुसार नए नियम में गहनों पर हालमार्क लगाने वाले सेंटर के बजाए व्यापारी पर शुद्धता की जिम्मेदारी होगी। कैरेट में कमी होने पर सेंटर के बजाय व्यापारी पर कार्रवाई के प्रावधान अव्यवहारिक हैं। भारतीय मान ब्यूरो (बीआईएस) से लाइसेंस लेकर कोई भी हॉलमार्किंग सेंटर शुरू कर सकता है। पूरे देश में 900 हॉलमार्किंग सेंटर हैं। एक सेंटर में लगने वाली मशीनों और उपकरणों की लागत करीब एक करोड़ रुपए हैं। एक गहने की जांच कर उस पर हॉलमार्क करने का शुल्क अधिकतम 35 रुपए लिया जा सकता है।
सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट में बनेंगे गहने
इंदौर सराफा एसोसिएशन के बसंत सोनी का कहना है कि नए नियम के तहत सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषणों पर ही हॉलमार्क लगाए जाएंगे। 24 कैरेट गोल्ड के के लिए अभी कोई इजाजत नहीं है।
प्रदेश में महज 18 हॉलमार्किंग सेंटर
मध्यप्रदेश में करीब 15 हजार सोने-चांदी की दुकानें हैं और 18 हॉलमार्किंग सेंटर। यह सेंटर भी सिर्फ 6 जिलों इंदौर, भोपाल, रतलाम, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर में हैं। नियम लागू होने पर इन सेंटरों पर भार बढ़ेगा।