कोरोना वायरस के नए म्यूटेशन ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद से भारत सरकार लगातार स्थिति पर नजर रख रही है. कोरोना के नए म्यूटेशन B.1.1529 जिसे डब्लूएचओ ने ओमिक्रॉन का नाम दिया। WHO ने जो ताजा अपडेट जारी किया है उसके मुताबिक कोरोना पीड़ितो को फिर से कोरोना होने का खतरा है। अभी पुरानी वैक्सीन के ओमिक्रोन पर काम करने का सबूत नहीं मिला है। यही वजह है भारत सरकार भी इसे गंभीरता से ले रही है। कोरोना के एक बार फिर से तेजी से बढ़ने पर सीधी बात डॉ. रवि डोसी, सीनियर पल्मेनोलॉजिस्ट के साथ…
Q. क्या कोरोना से अब डरने की जरूरत है?
A. बिल्कुल, शहर में केस बढ़ रहे हैं, जो संकेत है कि नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए सतर्क होना जरूरी है।
Q. शहर में फिलहाल कम ही केस सामने आए हैं?
A. लहर की शुरुआत कम केस से ही होती है। पिछले वर्ष भी नवंबर-दिसंबर माह से ही केस बढ़ने लगे थे
Q. वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी खतरा रहेगा ?
A. जिन्होंने दोनों डोज नहीं लिए। हैं. उन्हें तुरंत वैक्सीन लगवा लेना। चाहिए। वैक्सीन लगवा चुके लोग इससे अधिक प्रभावित नहीं होंगे।
Q. क्या अब तीसरे डोज की जरूरत महसूस हो रही है?
A. जिन लोगों को दोनों डोज लिए 6 माह पूरे हो चुके हैं, अब उन्हें बूस्टर डोज लगना चाहिए। एक स्टडी में यह बात आई है कि 6 माह बाद एंटीबॉडी कम होने लगती है।
Q. क्या बच्चों के लिए खतरा बरकरार है ?
A. बच्चों में एंटीबॉडी का स्तर घटता-बढ़ता रहता है। पहले सीरो सर्वे में एंटीबॉडी स्तर अच्छा पाया गया था लेकिन 3 माह बाद एंटीबॉडी में कितना बदलाव हुआ है यह आगामी रिपोर्ट में पता चलेगा। हालांकि उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बड़े सतर्क रहें।
कितना घातक यह प्रमाणित नहीं पर सतर्कता जरूरी
डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज का कहना है कि साउथ अफ्रीका में मिला नया वैरिएंट कितना घातक है, यह चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित नहीं है। चिकित्सा विशेषज्ञ व वैज्ञानिक फिलहाल इसकी घातकता को लेकर केवल आशंका ही व्यक्त कर रहे हैं लेकिन फिर भी वायरस के म्यूटेशन का खतरा हमेशा बना रहेगा, इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है।