शहर में अलग से साइकिल ट्रैक बनाने की वैधानिक जरूरत नहीं : हाई कोर्ट
– साइकिल ट्रैक व फुटपाथ पर अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका निराकृत
– यातायात सुगम बनाने को लेकर पुलिस के प्रयासों से कोर्ट संतुष्ट
शहर में अलग से साइकिल ट्रैक बनाने की वैधानिक जरूरत नहीं : हाई कोर्ट
इंदौर. शहर की सड़कों पर अलग से साइकिल ट्रैक बनाने सहित फुटपाथ पर अतिक्रमणों को लेकर 2018 से विचाराधीन जनहित याचिका हाई कोर्ट ने निराकृत कर दी है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा की युगल पीठ ने याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था, जो अब सुनाया है। कोर्ट का मानना है कि नेशनल अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी 2014 में सड़कों पर अलग से साइकिल ट्रैकबनाने की जो सिफारिश की थी, उसकी वैधानिक बाध्यता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अमृत प्रोजेक्ट के तहत इंदौर विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने कई जगह साइकिल ट्रैक बनाए हैं, जो काफी हैं। अधिकांश सड़कों पर दोनों और फुटपाथ हैं। पार्र्किंग करने, साइनिंग बोर्ड लगाने सहित व्यावसायिक गतिविधियां फुटपाथ पर हो रही हैं, जो अनुचित है। इसके लिए जनता को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि फुटपाथ का इस्तेमाल आवगमन के लिए ही हो। पुलिस, नगर निगम सहित अन्य शासकीय विभाग यातायात सुगम करने और सड़कों के अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी लगातार निभाते रहें। ट्रैफिक सुधार को लेकर शहर में किए जा रहे प्रयास संतोषजनक हैं, इसलिए इस याचिका में कोई दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है। इस आधार पर याचिका निराकृत की जाती है। खानापूर्ति के लिए बनाई साइकिल लेनसाइकिल यात्री समूह, संस्था रूपांकन और सौरभ दास ने एडवोकेट अभिमन्यु सानप के माध्यम से याचिका दायर की थी। मुद्दा उठाया गया था कि सड़कों का चौड़ीकरण तो हुआ, लेकिन कई जगह न तो फुटपाथ बनाए न साइकिल लेन। कहीं-कहीं खानापूर्ति के लिए साइकिल लेन बना दी, लेकिन इनकी हालत बदतर है। ज्यादातर जगह साइकिल लेन पर अतिक्रमण है। यहां दोपहिया और चार पहिया वाहन पार्क किए जा रहे हैं।