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इंदौर

परिजन के पास नहीं थे इलाज के पैसे, दिमागी बुखार से तीन साल की मासूम ने दम तोड़ा

अस्पताल प्रबंधन ने अब तक का इलाज नि:शुल्क कर एमवायएच ले जाने की दी थी समझाइश

इंदौरJun 27, 2019 / 11:16 am

हुसैन अली

baby

परिजन के पास नहीं थे इलाज के पैसे, दिमागी बुखार से तीन साल की मासूम ने दम तोड़ा

इंदौर. बिहार में चमकी बुखार की खबरों के बीच देवास जिले में तीन दिन में दूसरे मासूम की दिमागी बुखार से मौत का मामला सामने आया है। तीन साल की बच्ची को इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया था। एमवाय अस्पताल की तरह यहां भी परिजन इलाज के पैसे नहीं होने की बात कहकर बच्ची को लिव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (लामा) लिखकर ले गए, रास्ते में ही बच्ची की मौत हो गई।
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पानी गांव, कन्नौद (देवास) से सुकमा (3) पिता दिनेश सोलंकी को मंगलवार तडक़े 4 बजे परिजन इंडेक्स मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे। यहां दिमागी बुखार (इन्सेफेलाइटिस) बताकर इलाज शुरू किया गया। बच्ची को वेंटिलेटर पर रखकर लगातार आ रहे झटके रोकने के लिए इंजेक्शन दिए, इसके बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शाम 6 बजे के करीब परिजन ने आगे के इलाज के पैसे नहीं होने की बात कहकर बच्ची को वापस घर ले जाने की बात कही।
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अस्पताल प्रबंधन का कहना है, परिजन को अब तक का इलाज नि:शुल्क कर घर की बजाए एमवाय अस्पताल ले जाने की समझाइश दी गई। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. केके अरोरा को भी सूचना दी गई। डॉ. अरोरा ने कहा, सूचना मिलने पर शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. निलेश जैन और डॉ. प्रशांत चौधरी की टीम बनाकर कॉलेज भेजी गई। तब तक परिजन बच्ची को लामा कराकर ले जा चुके थे।
एक बच्चे की हो चुकी है मौत

मालूम हो, देवास जिले के ग्राम पंचायत जामनेर, नेमावर में डेरे पर रहने वाले घुमंतु जनजाति के 9 वर्षीय बालक असलम पिता इब्राहिम शाह की भी रविवार को दिमागी बुखार के कारण एमवाय अस्पताल से लामा कराकर घर ले जाने के दौरान मौत हो गई थी। वह तीन अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद यहां पहुंचा था। परिजन बच्चे को इलाज के पैसे नहीं होने पर घर ले गए थे, तब गांव वालों ने पैसे जमा कर उसे एमवाय भेजा था।
नहीं हुई चमकी बुखार की जांच

दोनों ही मामलों में पीठ के पानी की जांच कर दिमागी बुखार की पुष्टि हुई। चमकी बुखार की पुष्टि के लिए वायरल की कल्चर जांच जरूरी होती है। प्रदेश में कहीं भी यह सुविधा नहीं है, ऐसे में नमूने पुणे या दिल्ली की वायरोलॉजी लैब में भेजे जाते हैं, लेकिन दोनों ही मामलों में ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया।
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– परिजन ने पैसे नहीं होने पर लामा कराने की बात कही थी। एमवायएच से डॉक्टर आए, लेकिन तब तक परिजन नहीं रुके। बाद में फॉलोअप के लिए फोन किया तो बताया, बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बच्ची को तेज बुखार के साथ लगातार झटके आ रहे थे। चमकी बुखार की पुष्टि के लिए वायरस कल्चर जांच जरूरी है, इसकी व्यवस्था प्रदेश में नहीं है।
डॉ. स्वाति प्रशांत, एचओडी शिशुरोग विभाग इंडेक्स मेडिकल कॉलेज

– देवास सीएमएचओ को घटना की सूचना देकर टीम गांव में सर्वे के लिए रवाना की गई है। बच्ची को दिमागी बुखार की पुष्टि हुई है। चमकी बुखार के लक्षण नहीं मिले हैं।
डॉ. प्रवीण जडिय़ा, सीएमएचओ इंदौर

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