बताया जा रहा है कि, शहर के जिस मार्ग से पारंपरिक गेर निकाली जाती है, इस बार उसी मार्ग के बड़े हिस्से पर खुदाई का कार्य चल रहा है। ऐसे में ‘टोरी कॉर्नर’ के संचालक शेखर गिरी का तालमेल प्रशासन द्वारा बताए गए रोडमेप की व्यवस्था से तालमेल नहीं कर पा रहा है। लंबी बातचीत के बाद शेखर गिरी ने उनकी टोरी का इस बार भी गेर में हिस्सा न लेने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि, अगर ‘टोरी कॉर्नर’ की गेर मुख्य गेर में शामिल नहीं हुई तो तीसरे साल गेर में शामिल होने के बाद भी लोगों के उत्साह में कमी आ सकती है।
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अन्य गेर संचालकों की सहमति
आपको बता दें कि, शहर के जिस मार्ग से पारंपरिक गेर निकलती है, उसी मार्ग पर इस बार आधा किमी की खुदाई की गई है। ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से सभी गेर संचालकों के साथ एक बैठक की है। इसमें गेर का मार्ग बताते हुए प्रशासन की ओर से कहा गया कि, गेर का रास्ता शहर के लोहार पट्टी से होकर सराफा बाजार, राजबाड़ा से घूमकर उसी मार्ग से लौटना सुनिश्चित किया है। इसपर हिन्द रक्षक फाग यात्रा, रसिया कॉर्नर, मॉरल क्लब और संगम गेर आदि के संचालकों ने अपनी सहमति दे दी है। लेकिन, टोरी कॉर्नर गेर संचालक ने इस मार्ग पर असहमति जाहिर की है।
रास्ता अवरुद्ध है, इसलिए नहीं निकल सकती पारंपरिक गेर
शेखर गिरी के अनुसार, प्रशासन ने जो रुट सुनिश्चित किया है, उसमें उनकी पारंपरिक गेर निकलना संभव नहीं है। यही कारण है कि, हमने इस बार भी गेर का हिस्सा न रहने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि, ‘टोरी कॉर्नर’ गेर काफी लंबी होती है। इसमें दो बड़े टैंकर, दो डीजे वाहन, चार ट्रेक्टर, आयशर समेत कई वाहनों के साथ साथ हजारों की संख्या में लोग होते हैं। ऐसे में इस गेर को निकालने में काफी ज्यादा जगह की जरूरत होती है। लेकिन लोहार पट्टी वाले रोड से गेर निकालने में लोगों को काफी असुविदाओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमने गेर न निकालने का फैसला लिया है।
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