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इंदौर

Patrika 40 under 40- कुछ भी हो, हिम्मत रखिए-आगे बढ़िए; सफलता तो मिलेगी ही

– इंदौर की डॉ. यश्विनी राठौर पत्रिका की 40 अंडर 40 पावर लिस्ट में शामिल

इंदौरJun 30, 2022 / 05:11 pm

दीपेश तिवारी

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ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके…इस गीत को सुनाकर इंदौर की कोविड वॉरियर और डेंटिस्ट डॉ. यश्विनी राठौर ने अपनी जिंदगी के कुछ अहम् किस्से पत्रिका से शेयर किए। पत्रिका के 40 अंडर 40 में चयनित डॉ. यश्विनी राठौर ने कहा, जिंदगी में कई बार ऐसा होता है, जब कुछ नहीं दिखता, पर हिम्मत बनाए रखिए। आगे बढ़ते रहिए। सफलता मिलेगी। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

इंदौर की डॉ. यश्विनी राठौर पत्रिका की 40 अंडर 40 पावर लिस्ट में शामिल…


सवाल: डॉक्टर बनकर किस तरह समाजसेवा कर रही हैं?

जवाब: कोविड के दो साल मुझे खुद को साबित करने का मौका मिला। पापा चाहते भले ही पीपीई किट पहनना पड़े, लेकिन कर्तव्य से पीछे न हटें। उस दौरान घंटों पीपीई किट पहनकर मरीजों की सेवा की। हजारों कोरोना मरीजों को ठीक किया। पहली वेव में मैं संक्रमित नहीं हुई, पर दूसरी वेव में पॉजिटिव हो गई। बहुत कमजोर हो गई थी, खाना भी नहीं खा पाती थी। लेकिन चाहती थी जल्दी ठीक हो जाऊं और फिर मरीजों की सेवा कर सकूं।

सवाल: डॉक्टरी क्षेत्र का आपने चुनाव क्यों किया?

जवाब: मैं डेंटिस्ट होने के साथ मेडिकल एडमिनिस्ट्रेटर ऑफिसर भी हूं। जब छोटी थी, तब पापा ने मुझे डॉक्टर बनाने का ख्वाब देखा था। वे चाहते थे डॉक्टर बनकर समाज के लिए कुछ करें। मेरे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। 6 साल की उम्र से ही डॉक्टरों को देखकर सोचती थी कि मुझे यहां तक पहुंचना है। बाद में पता चला, इसमें बहुत रुपए खर्च होते हैं। मैं चाहती थी, पापा के कम से कम रुपए खर्च कर सकूं।

सवाल: कोविड के बाद से कैसे लोगों की मदद करती हैं?

जवाब: 6 साल से डेंटिस्ट हूं, पता है कई गांवों में लोग दांतों को लेकर लापरवाह हैं। गांवों में शिविर लगाती हूं। अवेयर करती हूं। कई ऑपरेशन नि:शुल्क किए हैं। नि:स्वार्थ सेवा के लिए 2017 में नेशनल अवार्ड मिला। रिसर्च के लिए 2014 में किंग्स कॉलेज लंदन में निबंध प्रतियोगिता में ऑल अवर इंडिया में थर्ड रैंक मिली थी।
सवाल: बेटियों को ज्यादा पढ़ाने की सोच कैसे विकसित होगी?

जवाब: यह सही है कि लोग आज भी बेटियों को ज्यादा नहीं पढ़ाना चाहते। मेरी फीस भरने के दौरान भी कई लोग पापा से कहते थे, बेटी को पढ़ाकर क्या करना है। वह पराए घर चली जाएगी। ऐसी बातें सुनकर मेरी डॉक्टर बनने की इच्छा और बुलंद होती गई। लोगों का काम कहना है, वे कहेंगे। आप अटल रहो।

पांच साल की उम्र से ही मुझे गाने का शौक रहा। स्कूल-कॉलेजों में प्रतियोगिता में भाग लिया। इंटरनेशनल लेवल पर हस्सेदारी की। कई अवॉर्ड्स भी जीते। 2017 में राइजिंग स्टार और इसी साले स्टार वॉइस ऑफ मप्र भी जीता। विषम हालात में भी मुझे शक्ति मिली।
– डॉ. यश्विनी राठौर, हेल्थकेयर
पूरा इंटरव्यू देखें आज शाम 5 बजे पत्रिका के फेसबुक पेज

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