अष्टधातु से बनी है, एक पर बना है त्रिशूल
वरिष्ठ मार्गदर्शक पुरातत्व विभाग आशुतोष महाशब्दे ने बताया कि संग्रहालय में रखी भी तोपें अष्टधातु से बनी हुई है। एक तोप पर त्रिशूल का चिह्न है और विक्रम संवत् 1680 भी लिखा हुआ है। इसमें महाराजा रघुनाथसिंह का नाम एवं अहमदाबाद के तोप बनाने वाले केशवराम का भी नाम है।
चार तोपों पर राजा मानसिंह का नाम
चार तोपों पर अकबर सेनानी राजा मानसिंह का नाम भी उत्कीर्ण है। इन पर अकबर द्वारा चलाए गए इलाही संवत् के द्वितीय वर्ष की तिथियां हैं। सातवीं तोप पर मुगल बादशाह शाहजहां तथा औरंगजेब के राज्यकाल के प्रमुख अधिकारी इतिकाद खां बिन आसफ जाह का नाम है।
मराठा अभियान के अवसर पर मिली तोप
इंदौर में होलकर राज्य के संस्थापक मल्हारराव होलकर द्वारा 1765 में दिल्ली पर हुए मराठा-अभियान के अवसर पर प्राप्त की गई थीं। मल्हारराव होलकर द्वारा 10 फरवरी 1765 ई. में अहिल्याबाई होलकर को लिखे गए पत्र में दिल्ली से चार बड़ी तोपें भेजने का उल्लेख प्राप्त है। संग्रहालय की दो तोप पर लैटिन अक्षरों में कुछ लेख हैं। इनमें स्वस्तिक चिह्न भी बना हुआ है। यह तोपें यूरोपीय तोप बनाने वालों द्वारा निर्मित की गई है। यह तोप 6 मार्च 1739 ई. में बसई के निकटवर्ती धार्थी दुर्ग को पुर्तगालियों से छीनने के अवसर पर मल्हारराव होलकर को लूट के हिस्से में मिली होंगी। यह सर्व विदित है कि मल्हारराव होलकर इस अभियान के प्रमुख सेनानी थे।