दोनों बाजारों की मांग पूरा कर सकती हैं भारतीय कंपनियां उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संरक्षणवादी उपायों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है लेकिन यह भारतीय निर्यात को बढ़ाने का एक अवसर भी है। चीन में अमरीकी उत्पाद और अमरीका में चीन के उत्पाद की कीमत में वृ़द्धि हो रही है। इसके अलावा एक दूसरे के देश में माल भी नहीं पहुंच पा रहा है। लेकिन दोनों बाजारों में उपभोक्ता मांग बनी हुई है। भारतीय कंपनियां इस मांग को पूरा कर सकती है। भारतीय कंपनियों के कुछ उत्पादों को दोनों बाजारों में विशेष रियायतें प्राप्त हैं।
कंपनियों को सस्ती दर पर लोन दें बैंक उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बैंकों को सस्ती दरों पर पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए। इसके अलावा सरकार को विदेश व्यापार संबंधी प्रक्रियाओं को भी आसान करना चाहिए। इससे निर्यात करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को छोटे कारोबारियों को सस्ती दरों पर उधारी देने के लिए बैैंकों को विशेष निर्देश देने चाहिए। गुप्ता ने कहा कि निर्यातकों के लगभग 20 हजार करोड़ रुपए जीएसटी रिफंड में फंसे हैं जिससे इनके सामने तरलता का गहरा संकट खड़ा है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध अवसर का लाभ उठाने में असमर्थ हैं।