अमरिकी संस्था ने शोध में किया था दावा
अमरिका की एक गैर लाभकारी संस्था ‘ओर्ब मीडिया’ की रिपोर्ट में खुलासे में कहा गया है कि भारत के अग्रणी ब्रांड के बोतलबंद पेयजल में पॉलीप्रोपिलीन, नायलॉन और पॉलीथिलीन टेरेफ्थेलेट जैसे 90 फीसदी तत्व मौजूद रहते हैं। शोध के अनुसार इन तत्वों की मौजूदगी 11 कंपनियों की 259 बोतलों के पानी में 93 फीसदी दर्ज की गई।नमूनों से 93 फीसदी प्लास्टिक मिली। औसतन एक बोतल में जिनकी संख्या जीरो से 10,000 कण तक पाई गई।
पेप्सिको इंडिया ने कहा, हमारा उत्पाद सुरक्षित शोध में बताया गया कि जो व्यक्ति एक दिन में एक लीटर बोतल बंद पानी पीता है वह प्रतिवर्ष प्लास्टिक के दस हजार तक सूक्ष्म कण ग्रहण करता है। शोध में 100 माइक्रोंस और 6.5 माइक्रोंस के आकार के दूषित कणों की पहचान हुई। प्लास्टिक के छोटे कण औसतन प्रति बोतल 10.4 पाए गए। प्लास्टिक के सूक्ष्म कण तो 325 कण प्रति बोतल पाए गए। पेप्सिको इंडिया ने भी इस दावे को चुनौती देते हुए गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, “एक्वाफिना गुणवत्ता के मापदंडों का सख्ती से पालन करती है जिससे दुनिया में कहीं भी इसके उत्पादों का सुरक्षित उपभोग हो सके। “