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नियामक ने टेलीकॉम कंपनियों को कहा था कि ये योजनाएं डाटा स्पीड के लिए ग्राहकों से अधिक शुल्क ले रही हैं, जबकि टैरिफ के आधार पर 4 जी हाइवे को भी अलग कर दिया गया है, जिसे खिलाफ नियामक काफी सख्त है। जानकारी के अनुसार ट्राई इस तरह की योजनाओं पर पूर्ण रोक लगा सकता है। इस तथ्य से स्पष्ट है कि किसी भी अंतिम दिशा दिए जाने से पहले कारण बताओ नोटिस एक कानूनी आवश्यकता है। जानकारों की मानें तो इस प्रतिकूल आदेश के मामले में टेलीकॉम कंपनियां टेलीकॉम विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण ( Telecom Dispute Settlement and Appellate Tribunal ) से संपर्क कर सकती हैं।
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वोडाफोन ने 11 जुलाई को योजनाओं को निलंबित करने और तीन सप्ताह तक रुकने के बाद टीडीसैट के हस्तक्षेप की मांग की थी। यह मामला फिर से 10 सितंबर को सुनवाई के लिए आएगा। एयरटेल ट्राई के अंतिम फैसले का पालन करने के लिए सहमत हो गया, उसका भी इंतजार अभी बाकी है। पिछले सप्ताह ट्राई ने टीडीसैट से इस बात का निष्कर्ष निकालने के लिए समय मांगा था कि क्या ये योजनाएं अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए सेवा की गुणवत्ता को कम करती हैं। जिसकी जांच 8 जुलाई को रिलायंस जियो की शिकायत के बाद शुरू हुई थी।