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परीक्षा परिणाम खराब आने का मुख्य कारण कक्षाओं का नियमित संचालन नहीं होना भी है। कोराना संक्रमण के कारण आधे सत्र तक ऑनलाइन कक्षाएं लगीं। संक्रमण कम होने पर ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन हुआ। इससे पढ़ाई का क्रम बाधित हुआ। प्री-बोर्ड परीक्षा भी समय पर नहीं हो सकी। इसके चलते 27 हजार 529 छात्रों में से 12 हजार से अधिक छात्र फेल हुए, जबकि 2898 छात्र पूरक आए।
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बेस्ट फाइव फार्मूला भी फेल
10वीं कक्षा का परिणाम सुधारने के लिए बेस्ट ऑफ फाइव पद्धति की शुरुआत हुई। यह भी इस बार काम नहीं आ सकी। इसके तहत छह विषयों में से पांच में सर्वाधिक प्राप्तांक के आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार किया जाता है। अर्थात यदि कोई विद्यार्थी पांच विषयों में उत्तीर्ण और एक विषय में अनुत्र्तीण रहता है तो उसे उत्तीर्ण कर दिया जाता है।
कोविड काल के दौरान इस बार शिक्षण कार्य बाधित रहा। कभी ऑफलाइन कक्षाएं लगीं तो कभी ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हुईं। इसका असर परीक्षा परिणाम पर पड़ा।
– घनश्याम सोनी, जिला शिक्षा अधिकारी