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जबलपुर

युवक को हुआ कैंसर, आचार्य विद्यासागर को सौंपा जीवन तो हुआ चमत्कार…जानिए पूरी कहानी

युवक को हुआ कैंसर, आचार्य विद्यासागर को सौंपा जीवन तो हुआ चमत्कार…जानिए पूरी कहानी

जबलपुरDec 03, 2018 / 11:21 am

Lalit Saxena

Facts about Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj

Facts about Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj

नरसिंहपुर। स्थानीय निवासी नितेंद्र जैन अब मुनि श्री 108 निराश्रव सागर के नाम से जाने जाएंगे। उत्तर प्रदेश के ललितपुर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने उन्हें मुनि दीक्षा देकर नितेंद्र जैन की जगह अब निराश्रव सागर मुनि के नाम से नामांकित किया। नितेंद्र जैन का जन्म नरसिंहपुर में 28 अप्रैल 1981 को तुलसीराम जैन माता प्रेमलता जैन के यहां हुआ था। बाल्यकाल से ही सरल स्वभाव मिलनसार एवं धर्म प्रेमी होने के कारण उनकी धार्मिक आस्था बढ़ती गई और आज मुनि श्री निराश्रव सागर की उपाधि से नवाजे गए।

news facts- धर्म: आचार्यश्री विद्यासागर जी ने दी मुनि दीक्षा
कैंसर होने की आशंका ने बदल दी नितेंद्र की जिंदगी
नया जीवन आचार्य विद्यासागर को सौंप दिया, बने मुनि निराश्रव सागर
ऐसे बदली जिंदगी: 15 जुलाई 2015 को आचार्यश्री से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया एवं 1 जुलाई 2016 को गृह त्याग कर मुनि श्री निराश्रव सागर जी सत्संग के सानिध्य में रहे। 28 नवंबर 2018 को ब्रह्मचारी नितेंद्र जैन को आचार्य श्री विद्यासागर जी ने ललितपुर में मुनि की दीक्षा दी और उन्हें नया नाम मुनि निराश्रव सागर दिया।

आचार्य का आशीर्वाद लेकर ब्रह्मचर्य व्रत लिया, नियमों का दृढ़ता से पालन किया
उनकी प्राथमिक शिक्षा उच्च शिक्षा नरसिंहपुर में ही हुई। वर्ष 2005 में नागपुर में इलाज कराने पर पता चला कि कैंसर है। परिवार ने नागपुर व मुंबई में इलाज कराया। इस दौरान नरसिंहपुर के दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री विद्यासागर जी की परम शिष्या 105 आर्यिका श्री अनंत मति माताजी के चातुर्मास के दौरान उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर जी दर्शन करने व आशीर्वाद लेने कहा। तब आचार्य श्री ने रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग करने कहा। नियम का पालन के करने के साथ 5 साल के लिए ब्रह्मचर्य व्रत भी लिया और उन्होंने नियमों का दृढ़ता से पालन किया। हाल ही में 8 नवंबर को उनका ऑपरेशन मुंबई में हुआ और ऑपरेशन में एक गांठ निकली, जिसकी जांच में कैंसर का रोग निकला ही नहीं। इस जीवन को आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों में अर्पित कर दिया और दिगंबरी दीक्षा धारण कर ली और संयम के पथ को धारण कर नितेंद्र जैन से बन गए मुनि निराश्रव सागर।

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