2015 में शुरू की बर्ड वॉचिंग, बन गया पैशन
डॉ. आमिर नसीराबादी अमाल्या महाराष्ट्र के रहने वाले है, उन्होंने ने एमबीबीएस किया है और टाटा मेमोरियल से एनेस्थीसिया में डिप्लोमा होल्डर हैं। साल 2011 में वे जबलपुर आकर बस गए हैं। तभी से यहां अपनी स्वास्थ सेवाएं दे रहे हैं। इन्होंने 2015 से बर्ड वाचिंग शुरू की थी, और तब से लेकर अभी तक मध्य भारत के जंगलों, खासकर जबलपुर के समृद्ध वनों में निवास करने वाले पक्षियों, तितलियों और जैव विविधताओं के क्षेत्र में काफी काम किया है। प्रकृति संरक्षण की दिशा में इनके द्वारा कई कार्य किये गए हैं। जिनमें जबलपुर में पर्यावरण संस्था सिटीजन्स फॉर नेचर के गठन, वन विभाग के लिए अनेकों चिकित्सा शिविरों का आयोजन आदि शामिल है। इसके अलावा डॉ. आमिर ने जबलपुर में तीन साल तक सफल तितली एवं प्रदेश के कई वन क्षेत्रों में तितलियों के साथ पक्षी सर्वेक्षण आदि किए हैं।
दुर्लभ पक्षी और तितलियां खोजीं
डॉ. आमिर ने जबलपुर में पक्षियों और तितलियों की कई दुर्लभ प्रजातियां सर्वप्रथम देखी और उन्हें कैमरे में कैद कर प्रकृति प्रेमियों से रूबरू कराया। जबलपुर में मौजूद तितलियों की 127 प्रजातियों को ये दस्तावेजित कर चुके हैं। डॉ. आमिर जैव विविधता के क्षेत्र में युवाओं एवं बच्चों को जागरुक करने का काम भी करते हैं। ताकि भविष्य में जंगल और उनके जीव संरक्षित के साथ सुरक्षित भी रहें। चिकित्सा जगत के अनेक लोग इनसे प्रेरणा लेकर जैव विविधता के क्षेत्र में जुड़ते जा रहे हैं।
इनके द्वारा नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में प्रथम पक्षी सर्वेक्षण, संजय दुबरी टाइगर रिजर्व व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन कर्मियों के लिए सिटीजन्स फॉर नेचर के माध्यम से स्वास्थ शिविर का आयोजन कराते रहते हैं। इसके अलावा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आयोजित 5वें पक्षी सर्वेक्षण में सिटीजन्स फॉर नेचर के माध्यम से प्रकृति प्रेमियों को जंगल को करीब से जानने का अवसर प्रदान करते हैं।