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जबलपुर

‘करीना खान प्रेग्नेंसी बाइबल’ पुस्तक पर लगाओ बैन

फ़िल्म अभिनेत्री करीना कपूर खान की प्रेग्नेंसी से जुड़ी विवादित किताब के मामले में मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। बुधवार को प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस डीके पालीवाल की बेंच ने याचिका में राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।

जबलपुरAug 04, 2022 / 11:49 am

Rahul Mishra

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हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग, राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाने के निर्देश

 

जबलपुर। फ़िल्म अभिनेत्री करीना कपूर खान की प्रेग्नेंसी से जुड़ी विवादित किताब के मामले में मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। बुधवार को प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस डीके पालीवाल की बेंच ने याचिका में राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।

जबलपुर के अधिवक्ता क्रिस्टोफर एंथोनी ने याचिका दायर की। कोर्ट को बताया कि ‘करीना खान प्रेग्नेंसी बाइबल’ शीर्ष से एक किताब प्रकाशित हुई है। इसके शीर्षक में ईसाई धर्मावलंबियों के पवित्र ग्रंथ बाइबल को जोड़ा गया है। इससे ईसाई धर्मावलंबियों की भावनाएं आहत हुई । इस संबंध में ओमती पुलिस थाना और पुलिस अधीक्षक को शिकायत कर करीना और प्रकाशकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई थी कोई कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट की शरण ली गई। अधिवक्ता अनुराग साहू ने आग्रह किया कि करीना खान, अदिति शाह भिमजियानी, अमेजन ऑनलाइन शॉपिंग बंगलुरू, जगरनॉट बुक्स नई दिल्ली के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।

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जिला अदालतों में 1255 पदों पर नियुक्ति के मामले में सुनवाई पूरी
हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित

जबलपुर। सूबे की जिला अदालतों में 1255 पदों पर नियुक्ति के मामले में बीते तीन दिनों से चल रही अंतिम सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई। जस्टिस शील नागू व जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 20 से अधिक याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया ।

एडवोकेट यूनियन फाॅर डेमोक्रेसी एवं शोसल जस्टिस व अन्य की ओर से दायर याचिका में उक्त भर्तियों को संवैधनिक प्रावधानों के विरूद्ध बताया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर तथा विनायक प्रसाद शाह ने तर्क दिया कि 30 मार्च 2022 को हाईकोर्ट की ओर से जारी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में कम्युनल आरक्षण लागू किया गया। आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थीयों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया में असंवैधनिक रूप से आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के विरूद्ध रिजल्ट बनाया, जो संविधान के अनुछेद 14 एवम 16 का खुला उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं कि अनारक्षित वर्ग में सिर्फ मेरिटोरियस (चाहे वह किसी भी वर्ग के हों) को ही स्थान दिया जाए और यह प्रक्रिया परीक्षा के प्रत्येक चरण में लागू की जाएगी। महिलाओं को 30 प्रतिशत हॉरिजोंटल आरक्षण के स्पष्ट रूप से प्रावधानों के बाबजूद भी उन्हें लाभ नही दिया गया।
हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता अनूप नायर ने पक्ष रखा। उन्होंने आरक्षण का लाभ चयन के अंतिम चरण में दिए जाने के प्रावधान के संबंध में कोर्ट को बताया और उक्त रिजल्ट को सही करार दिया। शासन की ओर से आशीष बर्नार्ड ने पक्ष रखा तथा हाईकोर्ट द्वरा की गई प्रक्रिया को सही ठहराया।

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