scriptBhadrapad Month 2019 : भादों का महीना शुरू, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी से लेकर आएंगे ये विशेष पुण्यदायी व्रत त्यौहार | Bhadrapad Month 2019 : janmashtami, ganesh chaturthi, bhadrapada vrat | Patrika News
जबलपुर

Bhadrapad Month 2019 : भादों का महीना शुरू, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी से लेकर आएंगे ये विशेष पुण्यदायी व्रत त्यौहार

भादों का महीना, 16 अगस्त 2019 से 14 सितम्बर 2019 तक भादों का माह रहेगा, भादों माह के व्रत-त्योहार, कजली या कजरी तीज – जन्माष्टमी- अजा एकादशी-भाद्रपद अमावस्या- हरियाली तीज- गणेश चतुर्थी- ऋषि पंचमी- देवझूलनी एकादशी- अनंत चतुर्दशी –

जबलपुरAug 16, 2019 / 10:51 am

Lalit kostha

janmashtami, ganesh chaturthi, bhadrapada ekadashi vrat puja vidhi

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जबलपुर। 16 अगस्त से हिन्दू पंचांग का छठा महीना भाद्रपद अथवा भादों का महीना शुरू होगा। यह महीना श्रावण माह के बाद और आश्विन माह से पहले आता है। सावन शंकर का महीना है तो भादों श्रीकृष्ण का माह माना जाता है। इस माह में जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दू मनाते हैं। 16 अगस्त 2019 से 14 सितम्बर 2019 तक भादों का माह रहेगा।

भादों भगवान श्रीकृष्ण का प्रकटोत्सव का मास है। इस दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण ने भादों के महीने के कृष्ण पक्ष में रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत हर्षण योग वृष लग्न में जन्म लिया। श्रीकृष्ण की उपासना को समर्पित भादों मास विशेष फलदायी कहा गया है। भाद अर्थात कल्याण देने वाला। कृष्ण पक्ष स्वयं श्रीकृष्ण से संबंधित है।

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भादों माह के व्रत-त्योहार

कजली या कजरी तीज –
भाद्रपद कृष्ण तृतीया को कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को राजस्थान के कई क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है। 18 अगस्त को रविवार के दिन यह त्यौहार मनाया जायेगा। यह माना जाता है कि इस पर्व का आरम्भ महाराणा राजसिंह ने अपनी रानी को प्रसन्न करने के लिये किया था।

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जन्माष्टमी-
भाद्रपद मास में आने वाला अगला पर्व कृष्ण अष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह उपवास पर्व उत्तरी भारत में विशेष महत्व रखता है। दिनांक 24 अगस्त को यह पर्व है। पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन में व्रत रखकर श्रद्धालु रात 12 बजे तक नाना प्रकार के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आयोजन करते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों की सजावट हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। इस मौके पर मथुरा में विशेष आयोजन किए जाते हैं। आधी रात को कृष्ण का जन्म होता है। गोविंद की पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है और भक्त व्रत खोलते हैं।

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अजा एकादशी-
भाद्रपद माह की कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी इस वर्ष 26 अगस्त को है।

भाद्रपद अमावस्या-
भाद्रपद मास की अमावस्या पितृ शांति के लिये पिंड दान, तर्पण आदि धर्म कर्म के कामों के लिये काफी शुभ फलदायी मानी जाती है। यह अमावस्या 30 अगस्त को है।

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हरियाली तीज-
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गौरी हब्बा नामक पर्व भी मनाया जाता है। यह पर्व दक्षिण भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू में विशेष रूप से मनाया जाता है। इसमें माता पार्वती के रूप गौरी की पूजा की जाती है। यह 1 सितंबर को मनाया जा रहा है।

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गणेश चतुर्थी-
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा, उपवास व आराधना का शुभ कार्य किया जाता है। पूरे दिन उपवास रख श्री गणेश को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। प्राचीन काल में इस दिन लड्डूओं की वर्षा की जाती थी, जिसे लोग प्रसाद के रूप में लूट कर खाया जाता था। गणेश मंदिरों में इस दिन विशेष धूमधाम रहती है। गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करने चाहिए। विशेष कर इस दिन उपवास रखने वाले उपासकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा उपवास का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। 2019 में गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को है।

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ऋषि पंचमी-
भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं व उपवास रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रजस्वला दोष से मुक्त होकर पवित्रता पाने के लिये भी यह उपवास किया जाता है। यह तिथि हरतालिका तीज के दो दिन तो गणेश चतुर्थी से अगले दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ऋषि पंचमी का उपवास 3 सितंबर को रखा जाएगा।

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देवझूलनी एकादशी-
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष, एकादशी तिथि, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है। देवझूलनी एकादशी में विष्णु जी की पूजा, व्रत, उपासना करने का विधान है। देवझूलनी एकादशी को पदमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विष्णु देव की पाषाण की प्रतिमा अथवा चित्र को पालकी में ले जाकर जलाशय से स्थान करना शुभ माना जाता है। इस उत्सव में नगर के निवासी विष्णु गान करते हुए पालकी के पीछे चल रहे होते है। उत्सव में भाग लेने वाले सभी लोग इस दिन उपवास रखते है। 9 सितम्बर, दिन सोमवार को भक्त इस दिन का लाभ उठा सकते हैं।

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अनंत चतुर्दशी –
भाद्रपद माह में आने वाले पर्वों की श्रंखला में अगला पर्व अनन्त चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्ध है। यह 12 सितम्बर, दिन गुरुवार को है। भाद्रपद चतुर्दशी तिथि, शुक्ल पक्ष, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में यह उपवास पर्व इस वर्ष मनाया जाता है। इस पर्व में दिन में एक बार भोजन किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप पर आधारित है। इस दिन “ऊँ अनन्ताय नम:” का जाप करने से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं।

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