वहीं दूसरी ओर सेंट्रल जेल जबलपुर में सुबह 7:00 बजे से ही हजारों की संख्या में माताएं बहने और बच्चे बाहर लंबी कतार में खड़े रहे। बारी-बारी से सात से आठ जगह चेकिंग के बाद उन्हें एक एकर प्रवेश दिया गया। अवसर था जेल पर बंदियों को भाईदूज के अवसर पर परिजनों से मिलाने का। बहनों के साथ-साथ उनके बच्चे मां आदि भी पहुंचे। भाइयों ने जुर्म से तौबा करने की शपथ ली। माताओं बहनों की आंखें भी छलक उठे। माहौल में जहां एक तरफ हंसते खिलखिलाते बच्चे नजर आ रहे थे अपने पिता अपने भाई से मिलकर। वही पत्नी और मां बहने भीगी पलकों के साथ बुराई का रास्ता छोड़ सच्चाई की ओर चल ने के लिए कहती नज़र आईं।
जेल प्रशासन ने सुबह से ही सख्त पहरा लगा दिया था ताकि किसी प्रकार की अनहोनी ना हो और भाई बहन के प्रेम के बीच कोई बाधा ना आने पाएं। मुख्य द्वार से लेकर जेल ग्राउंड तक सात से आठ जगह सभी के सामान की चेकिंग की गई। जो अवांछनीय सामग्री थी उसे बाहर ही रख लिया गया। मोबाइल आदि अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। जेल प्रशासन द्वारा सुबह से दोपहर तक की छूट दी गई थी। जिसमें लगभग 1000 बहनें अपने भाइयों से मिलने पहुंचीं।