इस पर जस्टिस राजीव कुमार दुबे की सिंगल बेंच ने निचली अदालत से मामले से सम्बंधित रिकॉर्ड बुलाए हैं। एक सप्ताह में रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया गया। साउथ सिविल लाइंस निवासी वृद्धि नारायण शुक्ला ने चार मई २०११ को जिला अदालत में आपराधिक परिवाद दायर किया था। इसमें कहा गया कि परिवादी ने खटीक मोहल्ला निवासी शांति साहू से १८.५ लाख रुपए कर्ज लिया था। चार लाख रुपए उसने चुका दिए। इसी बीच उसने ग्वारीघाट में जमीन खरीद ली। इस पर शांति साहू के दामाद सुदामा साहू उससे बाकी कर्ज की राशि मांगने और धमकी देने लगा। १४ मार्च २००५ को लखन घनघोरिया ने उसे फोन कर डकैती के मामले में फंसाने की धमकी देकर बुलाया। लखन के कहने पर कोतवाली पुलिस ने उसे १७ मार्च २००५ तक थाने में बिठाए रखा। १७ मार्च को उससे रजिस्ट्रार ऑफिस में जबरदस्ती जान से मारने की धमकी देकर पावर ऑफ अटार्नी पर दस्तखत करा लिए गए। इसके जरिए बाद में उसकी जमीन बेच दी गई।
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नहीं सुनी गई शिकायत-
इसकी शिकायत शुक्ला ने एसपी से १४ फरवरी २००६, २३ फरवरी २००६ व २९ अप्रैल २००८ को की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिवाद पर सुनवाई के बाद २७ जनवरी २०१८ को कोर्ट ने आरोपी के विरुद्ध प्रथम दृष्ट्या भादंवि की धारा ३६५, ३९२ का प्रकरण पंजीबद्ध करने के पर्याप्त आधार पाते हुए प्रकरण दर्ज कर लिया था। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी डीपी सूत्रकार की अदालत ने घनघोरिया को सात अप्रैल को हाजिर रहने के निर्देश दिए थे। इसी आदेश को घनघोरिया की ओर से याचिका में चुनौती दी गई है। घनघोरिया की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने की।