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जबलपुर

मप्र के प्राइवेट अस्पतालों की खुली लूट, बीमा-आयुष्मान कार्ड मान्य नहीं, कैश दो फिर करेंगे इलाज

लूट : कोरोना मरीजों के उपचार में निजी अस्पतालों की मनमानी
1 लाख तक की ज्यादा वसूली
 

जबलपुरApr 15, 2021 / 12:20 pm

Lalit kostha

Corona treatment

Most corona patients in 22 wards of Jabalpur

जबलपुर। शहर में कोरोना का कहर बढऩे के साथ निजी अस्पताल मरीजों को लूटने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। बीमार होने पर भी मरीज से एडवांस रकम जमा कराने के बाद ही अस्पताल में भर्ती कर रहे है। बीमा क्लेम के अलावा अन्य मद में एक लाख रुपए तक अतिरिक्त राशि नकद वसूल रहे हैं। आपदा में कमाई का अवसर ढूंढ़ रहे अस्पतालों के अपने नियम-कायदे बनाने से बीमा कराने वाले पीडि़त को कैशलेस उपचार मुहैया नहीं हो रहा है। वे अस्पतालों के चक्कर काटकर और प्रबंधन को बीमा पॉलिशी दिखाकर गिड़गिड़ा रहे हैं। जो रुपए जमा करने तैयार नहीं हो रहा है उसे सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही उपचार नसीब हो रहा है।

सरकार के आदेश दरकिनार
मरीजों के लिए बेहतर एवं सुविधाजनक उपचार के लिए सरकार ने कोरोना को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाया है। निजी अस्पतालों में कोरोना मरीज के उपचार का खर्च भी निर्धारित किया है। लेकिन, निजी अस्पतालों के मनमानी से कोरोना मरीज की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही है। 50 हजार से एक लाख रुपए तक एडवांस रकम जमा करने पर ही निजी अस्पताल मरीज को भर्ती कर रहे है।

 

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अस्पतालों के तर्क
निजी अस्पतालों का तर्क है कि कोरोना काल में वेतन एवं अन्य सुविधाओं के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। इसमें कुछ बीमा के क्लेम में अस्पताल में का खर्च पूरा नहीं हो रहा है। कई बार बीमा में पीपीइ किट और दवा का खर्च शामिल नहीं होता है। बीमा में कुछ वजह से कई बार क्लेम रद्द हो जाता है। इसकी पूर्ति के लिए सुरक्षा के रुप में कुछ राशि एडवांस जमा कराई जाती है। क्लेम पूरा मिलने पर मरीज को एडवांस जमा कराई गई राशि वापस कर दी जाती है।

कोरोना की आड़ में मनमानी कमाई
मरीजों के परिजनों का आरोप है कि कोरोना ेक मरीज बढऩे और बिस्तर कम होने से निजी अस्पताल मनमानी कमाई कर रहे है। पहले भी दूसरी बीमारियों के मरीजों से कुछ मामूली रकम जमा कराते थे। लेकिन अब कोरोना मरीज का बीमा होने पर भर्ती करने से पहले सीधे एक लाख रुपए तक एडवांस जमा करा रहे है। सरकारी बीमा की कई योजनाओं के मरीजों को तो भर्ती करने से सीधे मना कर दिया जा रहा है।

आयुष्मान योजना पर भी वसूली
आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों को दस प्रतिशत मरीज भर्ती करने है। इसके बाद भी कोरोना के मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।

‘आयुष्मान’ भी नजरअंदाज, सीधे कर रहे इनकार
– रामपुर निवासी एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हुए। उन्होंने निजी बीमा कंपनी की पॉलिशी ले रखी थी। इसमें कोरोना कवर था। परिजन निजी अस्पताल लेकर गए। प्रमुख अस्पतालों ने बीमा का लाभ देने से मना कर दिया। वे सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए।
– सदर निवासी एक 60 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित मिली तो परिजन उसे नजदीकी निजी अस्पताल लेकर गए। आयुष्मान भारत योजना का कार्ड दिखाया। अस्पताल ने बीमा वाले मरीज के उपचार से मना कर दिया। महिला मेडिकल अस्पताल में भर्ती हुई।
– घमापुर निवासी एक व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव आने पर परिजनों ने निजी अस्पताल के चक् कर काटे। एक लाख रुपए एडवांस देने पर एक अस्पताल ने भर्ती कर उपचार किया। अन्य खर्च के नाम पर 75 हजर रुपए काट लिए और क्लेम भी किया।

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