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जबलपुर

नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ: इस शहर में हुआ बड़ा बदलाव

नोटबंदी पर विशेष : बाजार में आया परिवर्तन, बड़े नोट की भारी कमी
 

जबलपुरNov 08, 2019 / 12:35 pm

gyani rajak

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नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ: इस शहर में हुआ बड़ा बदलाव, बढ़ गए टैक्स देने वाले

जबलपुर. नोटबंदी के बाद शहर में डिजिटल लेनदेन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आम आदमी के साथ व्यापार और उद्योग जगत में डिजिटल लेन-देन हो रहा है। जिले में 30 लाख से ज्यादा बैंक खाताधारक हैं। एक आकलन के अनुसार 25 से 30 फीसदी खाता धारक ई-बैंकिंग से जुड़ गए हैं। नतीजतन बैंकों में नोट के लिए लम्बी कतारें नहीं लग रही हैं। बिजली बिल और एलआईसी के प्रीमियम का भुगतान भी मोबाइल और लैपटॉप से हो रहा है।

नोटबंदी के समय लोगों को जिस तरह से नकदी की कमी का सामना करना पड़ा, उसका अहसास आज भी लोगों को है। लोगों ने बैंकों में पुराने 500 और एक हजार रुपए के नोट जमा किए। नकदी की कमी से बड़े काम रुक गए थे। लेकिन डिजीटल ट्रांजेक्शन ने कई लोगों को मुसीबत से बचाया था। उसी समय इस माध्यम की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा। बैंकों ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई।

कार्ड, ऐप से हो रहा भुगतान

8 नवम्बर 2016 को लागू हुई नोटबंदी के बाद बैंकों ने डिजीटल ट्रांजेक्शन पर जोर दिया। इसके तहत सबसे पहले व्यापारियों को पीओएस मशीन का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में जिलेभर में सभी बैंकों की तीन हजार पीओएस स्वाइप मशीनें थीं, अब इनकी संख्या 16 हजार से ज्यादा हो गई है। बड़े स्टोर में 80 फीसदी खरीदी पीओएस के माध्यम से हो रही है। डिजीटल ट्रांजेक्शन एप, मोबाइल और ई-बैंकिंग का चलन भी तेजी से बढ़ा है।

ये है स्थिति
– 30 लाख से ज्यादा बैंक खाताधारक हैं जिले में

– 5.50 लाख से अधिक लोग कर रहे नेट बैंकिंग
– 03 लाख से ज्यादा लोग मोबाइल बैंकिंग से जुड़े

– 28 लाख से ज्यादा लोगों के पास हैं डेबिट कार्ड
– 450 एटीएम संचालित विभिन्न बैंकों के
– 16 हजार पीओएस मशीनें भी

 

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