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जबलपुर

FIFA WORLD CUP 2018 : युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा फीफा का फीवर

फीफा वर्ल्डकप फाइनल के दिन नजदीक आने से बढ़ रहा खिलाडिय़ों का उत्साह

जबलपुरJul 13, 2018 / 01:33 am

abhishek dixit

FIFA WORLD CUP 2018 : युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा फीफा का फीवर

FIFA WORLD CUP 2018 : युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा फीफा का फीवर

जबलपुर. फुटबॉल देखे बिना नींद ना आए और मैच खेले बिना चैन ना आए। ऐसा ही कुछ एहसास सिटी के फुटबॉल प्लेयर्स के बीच दिखाई पड़ रहा है। जैसे जैसे फीफा विश्वकप फाइनल के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे फुटबॉल लवर्स के बीच फुटबॉल की दीवानगी भी बढ़ती जा रही है। देर रात तक चलने वाले मैच को देखने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। फुटबॉलर अपनी नींद से कंप्रोमाइज करते हुए एक-एक गोल को देख रहे हैं और मैदान में भी फुटबॉल खेल कर अपने शौक को पूरा कर रहे हैं। शहर के मैदान में रोजाना शाम को बड़ी संख्या में खिलाड़ी पहुंचते हैं और फुटबॉल खेलते हैं। रात को मैच देखकर कसर पूरी की जा रही है। शहर के प्लेयर्स अब फुटबॉल को बेहतर कॅरियर के रूप में भी देख रहे हैं। उनका कहना है कि वह भी अच्छा प्लेयर बनकर इस फील्ड में नाम कमाना चाहते हैं।

दो ग्राउंड में फुटबॉल प्रैक्टिस
शहर के दो ग्राउंड में रोजाना प्रैक्टिस चलती है। शिवाजी मैदान सदर में हर थोड़े दिनों में टूर्नामेंट होते हैं, वहीं पुलिस लाइन के हॉकी मैदान में प्रैक्टिस हो रही है। खिलाड़ी रोजाना यहां 2 से 3 घंटा फुटबॉल मैच खेल रहे हैं। उनके बीच एक-एक गोल का रोमांच देखते ही बनता है। बच्चों से लेकर बड़े हर उम्र में फीफा का उत्साह है।

देखते हैं मैच, नींद से कॉम्प्रमाइज
फुटबॉल इंडिया गेम खेल चुके शिवम शुक्ला ने बताया कि फीफा का एक भी मैच उन्होंने मिस नहीं किया है। रोजाना शाम को मैदान में फुटबॉल खेलने आते हैं, वहीं रात में फीफा मैच का आनंद टेलीविजन पर लेते हैं। उनका कहना है कि भले ही नींद से कॉम्प्रमाइज हो जाए, लेकिन वह फुटबॉल विश्वकप को देखने से कॉम्प्रमाइज नहीं कर सकते हैं। नेशनल का हिस्सा रह चुके सैयद आमिर ने बताया कि वे रात में मैच जरूर देखते हैं। उनका कहना है कि हाइलाट्स से काम नहीं चलता। वे पूरा रोमांच मैच देखकर ही उठाना चाहते हैं।

सुन नहीं सकते, लेकिन फुटबॉल की दीवानगी
सिद्धांत उपाध्याय सुनने में अक्षम हैं, लेकिन उन्हें फुटबॉल खेलना और देखना पसंद है। यही वजह है कि वे रोजाना पुलिस लाइन ग्राउंड में फुटबॉल खेलने जाते हैं, वहीं फीफा भी देखते है।

बनना है रोनाल्डो जैसा
नन्हें फुटबॉलर आर्नव सिंह को फुटबॉल पसंद है। वे रोजाना खेलने आते हैं और फीफा की हाइलाइट्स मोबाइल पर देखते हैं। उनका कहना है कि उन्हें बड़े होकर रोनाल्डो जैसा बनना है।

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