जानकारी के अनुसार जबलपुर में अधिवक्ता हड़ताल पर हैं जिसके चलते गुरुवार को 27 फीसद आरक्षण पर होने वाली सुनवाई को टाल दिया गया है। अब अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 25 अक्टूबर की तिथि घोषित की है। यहां ये भी बता दें कि अन्य पिछड़ वर्ग को 27 फीसद आरक्षण का मुद्दा हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने फिलाहल शिक्षक भर्ती परीक्षा, पीजी नीट परीक्षाओं व मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से अधिक किए जाने पर लगाई रोक कायम रखा है। गुरुवार 30 सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने पक्ष रखा जबकि ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह व अभिषेक मनु सिंघवी खड़े हुए।
ये भी पढें- MP में OBC को 27 फीसद आरक्षण पर अभी कोई निर्णय नहीं, अगली सुनवाई इस तारीख को 30 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य सरकार के दो सितंबर को जारी उस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने या रोक लगाने से इंकार करने के सम्बंध में भी कोई मत व्यक्त नही किया। कोर्ट ने सभी विचाराधीन पहलुओं पर सात अक्टूबर को सुनवाई करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते सात अक्टूबर को सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट अब 25 अक्टूबर को इस मसले पर सुनवाई करेगा।
बता दें कि जबलपुर जिला अदालत में गेट नंबर एक से अधिवक्ताओं के वाहनों की आवाजाही पर पर लगाई गई रोक के बाद विरोध में घरना प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश भर के अधिवक्ता गुरुवार सात अक्टूबर को न्यायिक कार्य से विरत हैं। अधिवक्ताओं का तर्क है कि गेट बंद करना और उसके बाद पुलिस से गिरफ्तार कराना हठधर्मिता है। मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने पूरे प्रदेश में न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है।
मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने के सचिव प्रशांत दुबे का कहना है कि गत पांच अक्टूबर को वकील शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तभी पांच थानों की पुलिस बुलाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस प्रशासन के इस कृत्य से अधिवक्ताओं में आक्रोश है। ऐसे में गुरुवार सात अक्टूबर को समूचे एमपी के अधिवक्ता इस घटना के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।