याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी कल्याण आशीष डे ने ने बताया कि एआइआर ने 14 जुलाई 2020 को उसकी 75 दिन की सेवा को अवैधानिक रूप से अवकाश घोषित कर दिया। 80 दिन के वेतन की रिकवरी निकाल दी। इसके अलावा अगस्त से नवंबर 2020 के बीच के पीरियड को ब्रेक इन सर्विस घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता ने पहले केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण में याचिका दायर की थी, जब वहां से राहत नहीं मिली तो हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने पाया कि अनुशासनात्मक जांच में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। वहीं, कोर्ट ने कहा कि ब्रेक इन सर्विस एक बड़ी सजा है, जो गंभीर कदाचरण पर दी जा सकती है। इससे कर्मचारी के पेंशन व अन्य लाभ भी प्रभावित होते हैं। इस मत के साथ कोर्ट ने विभाग के दोनों आदेश निरस्त कर दिए।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई बढ़ी
प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देने के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई आगे बढ़ा दी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2023 में बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने के लिए अयोग्य घोषित किया था। इसके स्पष्टीकरण के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई 8 अप्रेल को हुई। सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ है, इसलिए बुधवार को न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने अगली सुनवाई 15 अप्रेल को निर्धारित की है। डीएलएड छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मप्र सरकार के भर्ती नियमों को चुनौती दी है।