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जबलपुर

हाईकोर्ट का अहम फैसला, जो परिजन साथ नहीं रहते, उन पर नहीं चल सकता दहेज प्रताडऩा का केस

कोर्ट ने केवल पति के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का प्रकरण चलाने का निर्देश दिया

जबलपुरApr 20, 2019 / 05:18 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. हाईकोर्ट ने कहाकि जब परिजन पीडि़त बहू के साथ नहीं रहते, तो उनके खिलाफ दहेज प्रताडऩा का प्रकरण नहीं बनता। जस्टिस जेपी गुप्ता की सिंगल बेंच ने इस मत के साथ पनागर निवासी महिला के सास, ससुर, दो देवर, दो देवरानी और दो ननदों के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का प्रकरण खारिज कर दिया। कोर्ट ने केवल पति के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का प्रकरण चलाने का निर्देश दिया।

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बम्हनौदा पनागर निवासी निजाम खान का विवाह 1 मई 2011 को इबराना बी के साथ हुआ। कुछ दिन बाद दोनों अलग रहने लगे। 22 फरवरी 2018 को इबराना ने पनागर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि पति निजाम खान और उसके परिजन दहेज के लिए उसे प्रताडि़त करते हैं। पनागर पुलिस ने सभी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। तर्क दिया गया कि इबराना व उसका पति परिवार से अलग रहने लगे थे। इसलिए दहेज प्रताडऩा का प्रश्न ही नहीं है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने सास परवीन बानो, ससुर रमजान खान, देवर जिलानी खान, देवरानी सोफिया खान, देवर इमाम खान, देवरानी अमरीन खान, ननद तस्लीम बानो व नसरीन बेगम के खिलाफ दर्ज किया गया प्रकरण निरस्त कर दिया।

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