बताया जा रहा है कि विभिन्न बैंकों ने पेंशन पुनरीक्षण के बाद भुगतान करते समय सारांशीकरण की राशि काटने की मनमानी की है। इससे पेंशनर्स को आर्थिक क्षति हुई है। राज्य शासन ने जून 2018 में सातवें वेतनमान का लाभ दिया था, जिसके पालन में पेंशन भुगतानकर्ता बैंकों द्वारा पेंशन का पुनरीक्षित भुगतान किया जाना था। लेकिन मनमानी गणना करके पेंशनर्स की राशि काट ली गई। याचिकाकर्ता पेंशनर्स समस्या निराकरण एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि बैंकों की इस कार्रवाई से राज्य के लगभग 12 हजार पेंशनर्स को कम भुगतान हुआ, जिससे उनमें असंतोष व्याप्त है। उन्होंने प्रार्थना की कि हाई कोर्ट इस मनमानी पर अंकुश लगाए।
इस पर न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद विभिन्न बैंकों द्वारा पेंशनर्स की राशि काटकर भुगतान किए जाने के मामले में नोटिस जारी कर दिया। इस सिलसिले में राज्य शासन व बैंकों को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया हैं।