ऐसे में जबलपुर के कांग्रेस नेता सौरभ नाटी शर्मा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष गुरुवार को जानलेवा होते डेंगू मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा।
ये भी पढें- जबलपुर में जानलेवा बना डेंगू, 4 दिन में दूसरी मौत, मचा हड़कंप अधिवक्ता आदित्य संधी ने दलील दी कि नगर निगम, जबलपुर का ये हाल है कि उसके पास सालों से महज पांच फागिंग मशीन हैं, जिनमें से तीन खराब हैं। महज दो से काम चलाया जा रहा है। उसमें भी कैरोसिन ऑयल भरकर धुंआ उड़ा दिया जाता है। इससे मच्छरों नष्ट नहीं होते और नतीजतन आमजन मलेरिया व डेंगू की शिकार हो रही है।
उन्होंने कहा कि लार्वा विनिष्टीकरण को लेकर दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन नगर निगम के पास समुचित इंतजाम ही नहीं है। ये कोई नया नहीं बल्कि वर्षों से ऐसे ही चल रहा है। ऐसे में हर साल डेंगू डंग लोगों को लगता रहता है। इस साल नगर निगम प्रशासन कूलर निकलवाने सहित दूसरे उपाय अपनाने में जुटा है, जबकि उसकी मूलभूत जिम्मेदारी यह रही कि समय रहते फागिंग मशीन से छिड़काव को लेकर गंभीरता बरती जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निगम प्रशासन महज रस्मअदायगी कर रहा है। िसका खामियाजा जनता को भुगत रही है। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन हाई कोर्ट के पूर्व में दिशा-निर्देशों तक का पालन नहीं करता। ये चिंताजनक है।