मुकदमों की बनेगी सॉफ्ट कॉपी
जिला अदालतों में मुकदमे के साथ या उसकी सुनवाई के दौरान पेश किए जाने वाले दस्तावेजों की भारी-भरकम फाइलें खत्म करने की योजना का क्रियान्वयन चल रहा है। कोर्ट में पेश होते ही दस्तावेजों की कम्प्यूटराइज्ड सॉफ्ट कॉपी संरक्षित की जा रही है। इसके लिए मप्र हाईकोर्ट द्वारा जारी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट डिजिटलाइजेशन ऑफ रिकार्ड रुल्स 2016 के प्रावधानों के तहत कार्य आरंभ कर दिया गया है।
कानून व वैज्ञानिक आधार
हाईकोर्ट ने इन नियमों के लिए आईटी एक्ट 2000 व इंडियन इविडेंस एक्ट 1872 के प्रावधानों को आधार बनाया है। विज्ञान पर आधारित कनीक के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए मुकदमों के रिकाड्र्स का यूजर फे्रंडली डेटाबेस निर्माण किया जाएगा। की-बोर्ड आधारित सर्चिंग व रिकॉर्ड का ंरक्षण इन नियमों के निर्माण का उद्देश्य है।
अब यह हुई प्रक्रिया
– व्यक्तिगत रूप से, अधिकृत व्यक्ति या वकील के जरिए प्रेजेंटेशन सेंटर में अपना मुख्य केस, अंतवर्ती आवेदन या अन्य दस्तावेज उसकी कम्प्यूटारइज्ड सॉफ्ट कॉपी के साथ ही जमा किया जा सकेगा।
– सॉफ्ट कॉपी न होने की सूरत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को स्केन कर पीडीएफ फार्मेट में बदलकर संरक्षित व डिजिटलाइज किया जाएगा।
– दस्तावेजों की त्रुटियां आकलन व इन्हें दूर करने के लिए पेश करने वालों को दूसरे कार्यदिवस पर बुलाया जाएगा।
– त्रुटियां दूर करने के बाद दस्तावेजों की साफ्ट कॉपी को असंपादनयोग्य स्वरूप में डिजिटलाइज किया जाएगा।
अदालतों का पूरा रिकार्ड डिजिटलाइज करने की प्रक्रिया जारी है। पूरी कोशिश है कि आने वाले एक-दो सालों में हम यह लक्ष्य पूरा कर लेंगे।
मोहम्मद फहीम अनवर, रजिस्ट्रार जनरल, मप्र हाईकोर्ट