इनायत अली ने बताया कि पिछले दो दश्कों से गरीब, बेसहारा, लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने की सेवा कर रहे हैं, पिछले साल जब कोरोना के कारण होने वाली मौत के कारण लोग हाथ नहीं लगा रहे थे, तब भी उन्होंने अंतिम संस्कार करवाएं हैं, वे इस अभियान में अब तक करीब 2500 से अधिक हिंदू मुस्लिम सहित सभी धर्मों के लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, इस कारण वे गुमनाम लोगों की सुध लेने वाले फरिश्ते से कम नहीं हैं। वे जाति धर्म की सीमा को तोड़कर लावारिस और असहाय लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं,
छोटा सा गैराज चलाते हैं लेकिन पहली कमाई लावारिसों के नाम
इनायत छोटा सा गैराज चलाते हैं, उनके अब्बा को कई साल पहले विक्टोरिया अस्पताल में वेल्डिंग का काम मिला था, वहां उस दौरान दो दिन तक एक शवर को रखा देखा, जब कोई नहीं आया तो इनायत के अब्बा ने उसका अंतिम संस्कार किया, जब से ही परिवार में यह सिलसिला चला आ रहा है। वर्तमान में इनायत और उनके भाई रोज की पहली कमाई का एक हिस्सा बॉक्स में डालते हैं। जिसे बेसहारा के अंतिम संस्कार में खर्च कर देते हैं। उनके नेक मकसद के तहत कई लोग उनसे जुड़ते चले गए, जो लोग निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं।
पुलिस और अन्य लोग करते हैं फोन
सैयद इनायत अली ने बताया कि जब भी किसी गरीब की मृत्यु होती है, लेकिन उनके परिजन के पास पैसे नहीं होते हैं, तो पुलिस व अन्य लोग फोन करके सूचना देते हैं, तो हम अपना सारा काम छोड़कर शव का अंतिम संस्कार करते हैं, क्योंकि रोज का काम तो बाद में भी किया जा सकता है, लेकिन शव को मोक्ष के लिए इंतजार नहीं कराया जा सकता है, हम इसे ही खुदा की इबादत मानते हैं।