बता दें कि हाल ही में नागरिक उपभोक्ता मंच के सदस्यों ने मध्य प्रदेश शासन और पुलिस प्रशासन पर हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया था। मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया था कि दुर्घटना मामले में प्रमुख सचिव गृह विभाग, डीजीपी पुलिस मध्य प्रदेश, तथा प्रमुख सचिव परिवहन विभाग को अवमानना का नोटिस भेजा गया है। जल्द ही हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।
ये भी पढें- बढती सड़क दुर्घटनाओं पर High Court में दायर होगी अवमानना याचिका लगता है कि उसके अवमानना नोटिस के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है। आइजी उमेश जोगा ने जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, कटनी और सिवनी एसपी को दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की तरकीब तलाशने को लेकर सार्थक कार्ययोजना तैयार करने का निर्दश दिया है। उन्होंने कहा कि तत्काल ही टीम गठित की जाए, जो सड़क की दुर्दशा को रेखांकित करे। साथ ही पुराने जो ब्लैक स्पॉट के साथ ऐसे नए स्पॉट को चिन्हित किया जाए।
उन्होंने निर्दशित किया है कि ऐसे चिन्हित ब्लैक स्पॉट पर बोर्ड लगाए जाएं और उस बोर्ड पर चिन्हित स्थल से नजदीकी अस्पताल, पुलिस थाना, पुलिस चौकी प्रभारियों का मोबाइल व फोन नंबर का उल्लेख हो। पुलिस स्टेशन की चिन्हिंत स्थल से दूरी आदि भी उल्लिखित हो। आईजी का कहना है कि इन इंतजामों के जरिए दुर्घटनाओं में होने वाली मौत पर फौरी तौर पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने ऐसे सभी ब्लैक स्पॉट पर रेडियम लगाने को भी कहा है।
बता दें जबलपुर और आसपास के इलाकों में दिन-ब-दिन सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। इसके पीछे गड्ढायुक्त, खस्ताहाल सड़कें भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। पुलिस आंकड़ों के अनुसार 2020 में जबलपुर जोन में 4616 हादसे हुए थे, जिसमें 1035 लोगों की मौत हो गई। वहीं जनवरी से सितंबर 2021 तक ही हादसों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई, आकड़े बताते हैं कि अब तक 5623 हादसे हो चुके है जिसमें 5349 घायल और 1212 की मौत हुई है। ऐसे में अब पुलिस के आला अफसरों ने दुर्घटना पर अंकुश लगाने को सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू की है।