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जबलपुर

ये लेडी अफसर गरीब बच्चों पर खर्च कर देती है अपनी पेंशन

पति के साथ गांव-गांव जाकर कमजोर बच्चों को पढ़ाती है ट्यूशन

जबलपुरAug 14, 2017 / 07:58 pm

deepankar roy

lady officer spends their pension on the poor children

lady officer spends their pension on the poor children

जबलपुर । देश की सीमाओं पर तैनात जवानों की देशभक्ति अनुकरणीय होती है। लेकिन हमारे समाज में कई ऐसे लोग भी है जो चुपचाप समाजसेवा के अपने मिशन पर डटे है। शहर में भी ऐसी महिलाएं और युवा है, जो समाज के कमजोर तबके तक पहुंचकर उनके दुख के आंसू पोछ रहे है। कुछ ऐसे ही किरदारों की कहानी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपके सामने ला रहे है। जानिए एक दुर्घटना में घायल होने के बाद भारतीय सेना से नौकरी छोडऩे को मजबूर हुए एक सैनिक के हौसले और गरीब बच्चों को बेहतर एजुकेशन दिलाने में जुटी एक रिटायर्ड लेडी अफसर के जज्बे की कहानी-


बैंक की नौकरी के साथ शुरू की ट्यूशन
तिलहरी निवासी चैताली मित्रा रिटायर्ड बैंक कर्मी है। उन्हें गर्मी की छुट्टियों की होने वाली क्लासेस से अहसास हुआ कि जब कॉन्वेंट के बच्चों की अंग्रेजी इतनी कमजोर है तो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति क्या होगी। बस फिर क्या था उन्होंने तय किया वे खाली समय में आसपास गांवों के गरीब बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाएंगी। तिलहरी में अपने घर के आस-पास के बच्चों को इंग्लिश पढ़ाना शुरूकिया। वर्ष 2004 में जब बैंक की नौकरी के साथ ट्यूशन पढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ तो उन्हें कुछ मुश्किल हुई। लेकिन बैंक से रिटायर होने के बाद अब गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का उनका प्रयास एक मिशन में बदल गया है।

स्वच्छता से रहना भी सिखाया
गांव में गरीब बच्चे को पढ़ाने की शुरुआत हुई तो चेताली का साथ उनके पति ने भी दिया। वे अपने पति के साथ शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षाएं लेने लगीं। चैताली इंग्लिश और उनके पति मैथ्स पढ़ाते हैे। इस दौरान उन्होंने बालिका शिक्षा पर विशेष जोर दिया। उन्हें स्वच्छता से रहना भी सिखाया। अब उनके मिशन के साथ आभा समैया और लतिका चतुर्वेदी भी जुड़ गई है। वे रविवार को आस-पास के गांवों में नि:शुल्क शिक्षा के साथ शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध करा रही हैं।

पेंशन से बांट रही स्टेशनरी
अपनी पेंशन से बच्चों के लिए स्टेशनरी व आवश्यक चीजों की व्यवस्था करने वाली चेताली मित्रा ने बताया कि नि:शुल्क शिक्षा देने के अनुभव अच्छे ही नहीं, बुरे भी रहे। एक गांव की पंचायत ने तो सपोर्ट ही नहीं किया। बच्चों को पढ़ाते समय गांव के दबंग लोग उन्हें घेरकर खड़े हो जाते थे। हमने आम के पेड़ के नीचे तक बच्चों को पढ़ाया है।

दुर्घटना के बाद सेना की नौकरी छूट गई, लेकिन जज्बा कम नहीं हुआ
हर शहर के शुभम तिवारी इंडियन आर्मी के जवान रह चुके हैं। सेना में नौकरी के दौरान एक दुर्घटना में उनका पैर डैमेज हो गया। ऐसे में सेना में बने रहना मुश्किल था। उन्हें नौकरी छोडऩी पड़ी। लेकिन, देशभक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ। उन्होंने देश सेवा के बाद समाज की सेवा करने का बीड़ा उठाया।

स्टार्ट अप के साथ सोशल वर्क-

शुभम बताते हैं कि उन्होंने अपने इस काम को स्टार्टअप के साथ सोशल वर्क का रूप भी दिया। उनका स्टार्टअप स्टोर बच्चों को स्टेशनरी आइटम्स प्रोवाइड कराता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी जरूरतमंद को कोई वस्तु डोनेट करना चाहत है तो वह स्टार्टअप स्टोर से सस्ते दाम पर खरीद सकता है। शहर की कई संस्थाओं ने उनके इस काम की सराहना भी की है। उनका मानना है कि देश, समाज के लिए कुछ करने के दौरान रुकावटें तो आती हैं, लेकिन अपनी तरफ से कोशिश करते रहना चाहिए।

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