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जबलपुर

लोकसभा चुनाव 2019: ये है भाजपा का सबसे मजबूत किला, जहां कांग्रेस लडऩे से पहले ही डर जाती है!

लोकसभा चुनाव 2019: ये है भाजपा का सबसे मजबूत किला, जहां कांग्रेस लडऩे से पहले ही डर जाती है!

जबलपुरMar 19, 2019 / 10:28 am

Lalit kostha

lok sabha 2019 chunav

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संतोष सिंह@जबलपुर. वीआइपी कही जाने वाली जबलपुर लोकसभा सीट पर पिछले 23 साल से भाजपा जीत रही है। 1974 में जबलपुर लोकसभा उपचुनाव में शरद यादव चुनाव जीते, तो जेपी आंदोलन को नई दिशा मिली। 1996 के बाद से कांग्रेस इस सीट पर अपना परचम नहीं फहरा पाई।

news facts-

जबलपुर लोकसभा चुनाव आंकड़े हमेशा रहे दिलचस्प
लहर में वोटों की बारिश, पहले बोलती थी कांग्रेस की तूती
फिर 23 साल से सीट पर भाजपा का दबदबा

बदलाव के लहर में यहां के मतदाता परिपक्व संदेश देते रहे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो यहां वर्ष 1991 को छोड़ दिया जाए तो हर बार जीतने वाले सांसद को झोली भरकर वोट मिले। पहले आम चुनाव में विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं थी। दो सीट वाली जबलपुर लोकसभा से कांग्रेस के तीन सांसद बने। उस समय 43 प्रतिशत के लगभग वोट पड़े थे। पांच साल बाद हुए चुनाव में पिछली की तुलना में दो प्रतिशत कम वोटिंग हुई। इसके बावजूद कांग्रेस 17 प्रतिशत के मतों के अंतर से जीत गई।

दो चुनाव चीन-पाक युद्ध के साए में हुए
वर्ष 1962 का चुनाव चीन युद्ध के साए में हुआ। चीन से हार के बाद भी देशप्रेम की भावनाएं पूरे देश में थीं। वोटिंग हुई तो पिछले की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक वोटिंग हुई। कांग्रेस इस बार 53.22 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही। विपक्ष को 25.22 वोट से ही संतोष करना पड़ा। वर्ष 1967 का चुनाव सहानुभूति के सहारे लड़ा गया। 1965 में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। इस बार सात प्रतिशत अधिक वोटिंग हुई और कांग्रेस को विपक्ष से लगभग दोगुना वोट मिले।

बदलाव की आंधी में ढह गया किला
1977 में जेपी आंदोलन में जबलपुर लोकसभा में पहली बार कांग्रेस का मजबूत किला ढहा। वोटिंग पैटर्न में भले ही कोई बदलाव नहीं आया, लेकिन परिणाम आया तो शरद यादव ने कांग्रेस की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक वोट बटोर कर जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस दोफाड़ हो गई। इंदिरा कांग्रेस ने 1980 के चुनाव में एक बार फिर इस सीट पर कब्जा जमाया। इस बार सबसे कम महज 37.93 प्रतिशत वोट पड़े और कांग्रेस 29 की तुलना में 53 प्रतिशत वोट पाकर जीत गई।

1984 में भाजपा ने दिखाया दम
वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति भरे माहौल में हुआ। लगभग 60 प्रतिशत वोटिंग में कांग्रेस प्रत्याशी को 61 प्रतिशत से अधिक मत मिले। भाजपा ने अपनी मौजूदगी दिखाते हुए 32 प्रतिशत वोट बटोरे। 1989 में भाजपा ने ये सीट कांग्रेस से छीन ली। राम लहर के बावजूद कांग्रेस 1991 में फिर से इस सीट पर काबिज हो गई। 1996 में भाजपा ने कब्जा जमाया, जो आज तक बरकरार है।

अटल और कारगिल लहर में रेकॉड मतों से जीत
वर्ष 1998 और 1999 का चुनाव अटल और कारगिल युद्ध के माहौल में लड़ा गया। तब भाजपा दोनों बार क्रमश: 13 और 20 प्रतिशत के अंतर से जीती। इसके बाद हुए तीनों चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग 17 प्रतिशत वोटों का अंतर बना हुआ है।

दलों के पूरे नाम
– एसपी-सोशलिस्ट पार्टी
– आइएनडी-इंडियन नेशनल दल
– पीएसपी-प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
– बीएलडी-भारतीय लोक दल
– बीजेएस-भारतीय जन संघ
– जेएनपी-जनता पार्टी

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