चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने ये हैं उपाय
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला कहते हैं कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है, इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान जाप किया जाए। इस दौरान ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’ या सों सोमाय नम: का जाप करना शुभ होता है। माना जाता है कि इस वैदिक मंत्र का जाप जितनी श्रद्धा से किया जाएगा यह उतना ही फलदायक होगा। ग्रहण के दौरान दुर्गा सप्तशती कवच मंत्र का पाठ करना भी हितकारी होता है। मंत्र इस प्रकार है- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान संयम से मंत्र जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर किए गए दान और जाप के बराबर फलदायी होता है।
ये हैं मंत्र
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:
सों सोमाय नम:
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
दिन में करना पड़ेगा गुरुवंदन
आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा 16 जुलाई को है। गुरुपूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण होने से शिष्यों को दिन में ही गुरु वंदन करना पड़ेगा। शाम चार बजे से सूतक लग जाने से मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला का कहना है कि चंद्र ग्रहण 16 व 17 जुलाई की मध्य रात्रि के बाद शुरू होगा। भारत में चंद्रग्रहण का स्पर्श 16 जुलाई की देर रात 1.31 बजे शुरू होगा और इसका मध्य तीन बजे होगा। ग्रहण का मोक्ष रात 4.30 बजे होगा।
चंद्र ग्रहण की स्थिति
स्पर्श- रात 1.31 बजे
मध्य- रात 3 बजे
मोक्ष- रात 4.30 बजे
सूतक- शाम 4.31 बजे
राशियों पर प्रभाव
शुभ- कर्क, तुला, कुम्भ और मीन
मिश्रित- मेष, मिथुन, सिंह और वृश्चिक
अशुभ- वृष, कन्या, धनु और मकर
ग्रहण की पौराणिक कथा
पं विपिन शास्त्री का कहना है कि ग्रहण के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान हुआ। इसमें अमृत देवताओं को मिला, लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया। अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों से अमृत ले लिया। जब भगवान विष्णु अमृत लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर ने भी देवताओं के बीच जाकर अमृत का पान कर लिया। वह जैसे ही अमृत पीकर हटा तो सूर्य और चंद्रदेव को शंका हुई कि वह असुर है, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन अलग कर दी, लेकिन वह अमृतपान कर लिया था इसलिए वह मरा नहीं। उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए। ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगता है। इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए गायब हो जाती है।