हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में अंतरिम आदेश को जारी रखने को कहा था। इसमें कहा था कि स्कूल संचालक सिर्फ ट्यूशन फीस ( tuition fees ) ही ले सकते हैं। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को बीच का रास्ता निकालने को भी कहा था।
क्या हुआ था पिछली सुनवाई में
जबलपुर हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव की युगल पीठ के समक्ष 24 सितंबर को हुई सुनवाई में सभी पक्षकारों को एक ऐसा प्रस्ताव रखने को कहा था, जिसमें स्कूल शिक्षा के जुड़े सभी हितग्राहियों जैसे अभिभावक, विद्यार्थी, शिक्षक और अन्य गैर शैक्षणिक स्टाफ और स्कूल प्रबंधन समेत सभी के हित सुरक्षित रहे। इसकी सुनवाई अब 6 अक्टूबर मंगलवार को होगी। इसी दिन कोई बड़ा फैसला भी आ सकता है।
क्या कहते हैं स्कूल प्रबंधन
-स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्कूल शुरू होने के बाद ही अन्य फीस पर निर्णय किया जाएगा। प्रबंधन का कहना है कि शिक्षक और गैर शिक्षण स्टाफ का वेतन देना भी मुश्किल हैं। यदि अभिभावक फीस नहीं देंगे तो टीचर्स को नौकरी से निकालना पड़ सकता है।
क्या कहते हैं अभिभावक
-अभिभावकों का तर्क है कि जब तक स्कूल में कक्षा नहीं शुरू होती तब तक ट्यूशन फीस नहीं देंगे। इस संबंध में अभिभावक सोशल मीडिया से लेकर प्रदर्शन तक कर रहे हैं। उनका कहना है कि नो स्कूल, नो फीस। अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों ने सालभर की फीस को भी ट्यूशन फीस में शामिल कर दिया है।
सीएम ने भी दिए थे आदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी लाकडाउन अवधि में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की बात कह चुके हैं। इसके बाद अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन में हंगामे की स्थिति बन रही थी। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्कूल लॉकडाउन के दौरान सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे, जिसके बाद अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों ने सालभर की फीस को भी ट्यूशन फीस में शामिल कर दिया है।