
Makar Sankranti 2024
जबलपुर. मकर संक्रांति के अवसर पर घरों में खिचड़ी खाने खिलाने की परंपरा है। किसी के यहां मैथी की तो किसी के घर मूंग और उड़द दाल की खिचड़ी बनाई जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। खिचड़ी खाने खिलाने के पीछे आस्था और आयुर्वेद दोनों ही काम करते हैं। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार खिचड़ी एक संपूर्ण आहार होने के साथ आयुर्वेद में सबसे पौष्टिक भोजन की श्रेणी का खाद्य पदार्थ माना गया है।
पांच दिन पहले से बनने लगती है खिचड़ी
स्थानीय परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति से पांच दिन पहले से ही खिचड़ी बनने लगती है। इसके पीछे मान्यता है कि संक्रमण काल शुरू होने पर भारी खाना खाने से सेहत खराब न हो साथ ही संक्रांति पर बनने वाले पकवानों को खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। इसलिए पांच या तीन दिन पहले से ही लोग घरों में खिचड़ी बनाने लगते हैं। खासकर मैथी की खिचड़ी गुड़ के साथ परोसी जाती है, जो शरीर को अंदरूनीतौर पर संक्रमण से लडऩे में सहयोग करती है।
संक्रमण का खतरा बढ़ता है
ज्योतिषाचार्य पं. विचित्र महाराज ने बताया मकर संक्रांति पर केवल सूर्य का राशि परिवर्तन नहीं होता है। बल्कि दो ऋतुओं का मिलन भी होता है। ऋतुओं के संधि काल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान सुपाच्य भोजन करने की सलाह शास्त्रों में भी मिलता है। धार्मिक मान्यताओं में इसे शामिल करने का उद्देश्य लोगों को ऋतु परिवर्तन के दौरान सेहतमंद बनाए रखना है। यही वजह है कि संक्राति के एक सप्ताह पहले से कई घरों में खिचड़ी बनने लगती है। लोग हल्का भोजन लेने लगते हैं। क्योंकि संक्रांति के दूसरे दिन से ही मौसम में ठंडक कम होने लगती है और माघ मास शुरू हो जाता है।
चूंकी ठंड में हम भारी भोजन खाते हैं, इसलिए संक्रमण काल और ऋतु परिवर्तन के दौरान शरीर की पाचन क्रिया को बैलेंस करने के लिए खिचड़ी एक बेहतर खाद्य पदार्थ है। इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं,साथ ही यह खाने में हल्की भी होती है। शरीर की अग्नि को संतुलित करने में खिचड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- एलएल अहिरवाल, प्राचार्य, आयुर्वेद कॉलेज गौरीघाट
Published on:
05 Jan 2024 12:52 pm
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