scripthigh court: रेपिस्ट के बच्चे को जन्म देने पर बाध्य नहीं पीडि़ता | mp high court latest news and verdict | Patrika News
जबलपुर

high court: रेपिस्ट के बच्चे को जन्म देने पर बाध्य नहीं पीडि़ता

हाईकोर्ट का अहम फैसला नाबालिग किशोरी को दी गर्भपात की अनुमति

जबलपुरDec 08, 2017 / 08:58 am

deepak deewan

mp high court latest news and verdict

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जबलपुर. बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं। दुष्कर्म की ऐसी घटनाओं के बीच मप्र हाईकोर्ट का एक महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है जिससे ऐसे केसेस में पीडि़तों को बड़ी मदद मिल सकती है। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि बलात्कार पीडि़ता को रेपिस्ट की संतान को जन्म देने पर विवश नहीं किया जा सकता। एेसा करना न केवल उसके, बल्कि होने वाले बच्चे के लिए भी उचित नहीं होगा। पीडि़ता और उसके अभिभावक को इस विषय पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। यह अधिकार उसे संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत प्राप्त है। इस मत के साथ जस्टिस सुजय पॉल की सिंगल बेंच ने कोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीडि़ता को गर्भपात की इजाजत दे दी।
यह था मामला
खंडवा जिले के मुंडी थानांतर्गत निवासी पीडि़ता नाबालिग किशोरी के पिता ने यह याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया कि उसने १५ अक्टूबर को अपनी नाबालिग बच्ची के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। ३१ अक्टूबर का जब पुलिस ने बच्ची को उसके हवाले किया तो बताया गया कि बच्ची गर्भवती है। याचिकाकर्ता की ओर से पराग चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि उसने गर्भपात की सहमति प्रदान की, लेकिन नाबालिग होने की वजह से कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
यह बताया सरकार ने
सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुष्पेंेद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि जिला चिकित्सालय की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ लक्ष्मी ने ४ दिसंबर को दी गई जांच रिपोर्ट में बताया था कि पीडि़ता को करीब ५ माह का गर्भ था। और बीस सप्ताह अर्थात पांच माह तक का गर्भपात किया जा सकता है।
हर साल २० हजार महिलाओं की मौत
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह वाकई चौंका देने वाला है कि हमारे देश में ११० लाख गर्भपात प्रतिवर्ष होते हैं। लगभग बीस हजार महिलाएं गर्भपात के दौरान उत्पन्न समस्याओं के कारण मौत के आगोश में समा जाती हैं। अधिकांश एेसी मौतें अवैध गर्भपात का परिणाम होती हैं। कोर्ट ने कहा कि इसी वजह से प्रेग्नेंसी एक्ट बनाया गया।
यह आदेश दिया कोर्ट नेद्द पीडि़ता अवयस्क है, लिहाजा उसके अभिभावक की सहमति होने पर उसकी सहमति लेना जरूरी नहीं है।
द्द सरकार आदेश प्राप्त होने के २४ घंटे के अंदर तीन डॉक्टरों की समिति गठित कर इस बारे में उनकी राय ले।
द्द कमेटी की राय के अनुसार प्रेग्नेंेसी एक्ट के प्रावधान पूरे होने पर गर्भपात की प्रक्रिया की जाए।
द्द गर्भपात के पूर्व भ्रूण का डीएनए सेंपल लेकर सीलबंद किया जाए।
द्द मामले की अनिवार्यता को देखते हुए सरकार आदेश का सख्ती से पालन करे।
द्द स्वास्थ्य विभाग प्रमुख सचिव व खंडवा एसपी स्वयं पूरी प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करें।


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