नर्मदा ग्लेशियर से नहीं निकलती है। नर्मदा में आने वाले जल के स्रोत तटों के किनारे लगे पेड़-पौधे व सहायक नदियां हैं। दम तोड़ रहीं सहायक नदियों का सीधा असर पडऩे के कारण नर्मदा की जल धार भी पतली होती जा रही है।
डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक
सहायक नदियों के दम तोडऩे का लगातार तीसरे साल दिख रहा असर
जबलपुर•Jun 04, 2019 / 01:37 am•
shyam bihari
narmada
जबलपुर। नर्मदा तटों में जल स्तर तेजी से घट रहा है। प्रमुख घाटों से लेकर अन्य तटों में भी चट्टानें दिखने लगीं हैं। गर्मी के सीजन में लगातार तीसरे साल नर्मदा तटों में चिंताजनक हालात नजर आ रहे हैं। घुघवा समेत कई और झरने गायब हो गए हैं। नर्मदा की धार संकरी होती जा रही है। प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा की ये हालात देखकर पर्यावरणविद् चिंता जता रहे हैं। उनका मानना है कि एक-एक कर नर्मदा की सहायक नदियों के दम तोडऩे के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं।
ग्वारीघाट में दिखने लगीं चट्टानें
श्रद्धालुओं की आस्था के प्रमुख केन्द्र ग्वारीघाट में रोजाना सुबह से लेकर देर रात तक पचास हजार से ज्यादा लोग पहुंचते हैं। तट में जल स्तर काफी कम हो जाने के कारण पूरी तरह चट्टानें दिखने लगीं हैं। पानी इतना कम हो गया है कि लोग अर्चन से लेकर नहाने के लिए धार के बीचोंबीच पहुंच जा रहे हैं। इतना ही नहीं जल स्तर कम होने के चलते गहराई का सही अंदाजा न होने पर लोग खतरनाक स्थानों तक पहुंच जाते हैं।
धुआंधार में धार हुई पतली
नर्मदा के सबसे खूबसूरत तट धुआंधार की धार पतली हो गई है। लगातार जल स्तर घटने का असर ये है कि यहां आने वाले पर्यटक सेल्फी, टिक टॉक, इंस्टाग्राम वीडियो बनाने के जुगत में खतरनाक स्थलों पर पहुंच रहे हैं। कई बार तो वे जलप्रपात के इतने करीब पहुंच जाते हैं कि जरा सी चूक उनके लिए जानलेवा हो सकती है।
लम्हेटाघाट में जल स्तर घटा
तेज बहाव के लिए पहचाने वाले सबसे गहराई वाले घाटों में शुमार लम्हेटाघाट में जल स्तर तेजी से घटा है। चारों ओर चट्टानें पूरी तरह नजर आ रही हैं। जिसके कारण श्रद्धालु इस तट में गहराई तक पहुंच जाते हैं।
सहायक नदी तोड़ रहीं दम
नर्मदा की सहायक नदी हिरन, गौर और परियट दम तोड़ रही हैं। हिरन नदी तीन साल से लगातार सूख रही है। जबकि, गौर व परियट नदी के किनारे बनी डेयरियों ने इन नदियों को गोबर के नाले में तब्दील कर दिया है। जिसके कारण गर्मी के दिनों में ये दोनों नदी ज्यादातर स्थानों पर सूख जाती हैं। सहायक नदियों के इस हाल का सीधा असर नर्मदा पर पड़ रहा है।
नर्मदा ग्लेशियर से नहीं निकलती है। नर्मदा में आने वाले जल के स्रोत तटों के किनारे लगे पेड़-पौधे व सहायक नदियां हैं। दम तोड़ रहीं सहायक नदियों का सीधा असर पडऩे के कारण नर्मदा की जल धार भी पतली होती जा रही है।
डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक