जबलपुर

जयंतीः नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लिए आज भी रिजर्व है जेल की बैरक, रोज चढ़ाए जाते हैं फूल

23 जनवरी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर विशेष…।

जबलपुरJan 23, 2020 / 12:15 pm

Manish Gite

netaji subhash chandra bose

जबलपुर। आजादी की लड़ाई के वक्त कई बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ( netaji subhash chandra bose ) पकड़े गए और कई बार रिहा भी हुए। देश की कई जेलों में उन्हें कैद रखा गया। मध्यप्रदेश में एक जेल ऐसी भी है, जिसकी एक बैरक आज भी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर आरक्षित है।

23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर patrika.com आपको बता रहा है उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से…।

 

किस्सा उस वक्त का है जब 1818 में निर्मित जबलपुर की जेल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस को दो बार कैद रखा गया था। दोनों बार उन्हें एक ही बैरक में रखा था। बाद में जेल की उसी बैरक को नेताजी के नाम पर रिजर्व घोषित कर दिया गया। इस बैरक में अब दूसरा कोई कैदी नहीं रखा जाता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस का सामान आज भी इस जेल में रखा हुआ है। उनकी याद में जेल के बाकी कैदी आज भी उनकी जयंती के दिन उसी बैरक पर फूल चढ़ाते हैं।

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बोस के नाम पर है यह जेल
जबलपुर की इस जेल में दो बार कैद रहने वाले सुभाषचंद्र बोस के प्रति सम्मान ही है कि अब इस जेल का नाम नेताजी के नाम पर रख दिया गया। सुभाष चंद्र बोस जब इस जेल में कैद होते थे तब जेल के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ एकत्र हो जाती थी। भीड़ भी इतनी होती थी कि अंग्रेजों को संभालना मुश्किल हो जाता था।

बैरक पर फूल चढ़ाते हैं कैदी
जबलपुर जेल के कैदी रोज ही नेताजी की पट्टी पर फूल चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि जेल में बंद रहने के दौरान सुभाष चंद्र बोस जिस पट्टी (पत्थर की शिला) पर सोते थे, उस पर सभी कैदी हर सुबह फूल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करते हैं।

 

अब संग्रहालय है यह जेल
सुभाष चंद्र बोस जिस बैरक में कैद थे, उसी में वे अध्ययन करते थे। अब यह संग्रहालय बन गया है। नेताजी की फौज जब अंग्रेजों के लिए मुसीबत बनने लगी, तब अंग्रेजों ने पहली बार बोस को गिरफ्तार कर 22 दिसंबर 1931 से लेकर 16 जुलाई 1932 तक इसी जेल में बंद कर दिया।
-जैसे-जैसे देश में आजादी की लड़ाई बढ़ने लगी, अंग्रेजों ने आजादी के नायकों को जेल में भरना शुरू कर दिया था।
-इसी वक्त बोस को दूसरी बार गिरफ्तार कर जबलपुर लाया गया और उसी बैरक में रखा। इस कारण आजादी के बाद जबलपुर सेंट्रल जेल का नाम ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल’ रखा गया।

 

यहां हो गई थी तबीयत खराब

स्वतंत्रता संग्राम के वक्त नेताजी दो बार इस जेल में रहे। उनके साथ भाई शरतचंद्र बोस भी थे। नेताजी 30 मई 1932 को जबलपुर आए और फिर 16 जुलाई 1932 को मद्रास भेजा गया। दूसरी बार 18 फरवरी 1933 को वे फिर जबलपुर लाए गए। इसी वक्त उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उस वक्त डॉ. एसएन मिश्र ने उनकी जांच की और आंतों में टीबी होने की बात बताई। इसके बाद उन्हें 22 मार्च 1933 को यहां से बंबई और फिर वहां से यूरोप भेज दिया था।

 

एक नजर
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म हिन्दू कायस्थ परिवार में 23 January 1897 को कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। निधन 18 August 1945, ताइपेई (ताइवान) में होना बताया जाता है।
– द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था।
-बोस ने जय हिन्द का नारा दिया था, जो भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया था। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा यह नारा भी बहुत प्रचलन में रहा।

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