scriptअब यहां भी काम करने में बाधा बनी उम्र की सीमा | Over 45 year old contract workers in MP power company being relieved | Patrika News
जबलपुर

अब यहां भी काम करने में बाधा बनी उम्र की सीमा

-45 और उससे अधिक की उम्र वालों को हटाया जा रहा काम से

जबलपुरMar 12, 2021 / 02:13 pm

Ajay Chaturvedi

45 year-old contract workers being relieved

45 year-old contract workers being relieved

जबलपुर. सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र अथवा सरकारी उपक्रम किसी की नौकरी लग गई तो यह माना जाता रहा कभी कि अब कम से कम 60 साल की उम्र तक तो काम करेंगे ही। लेकिन बीत दो दशक में पहले निजी क्षेत्रों में काम करने के लिए उम्र बाधा बनने लगी। अब सरकारी कामकाज में भी उम्र ने बड़ी बाधा बनना शुरू कर दिया है। वो उम्र जिसमें पहुंच कर व्यक्ति अपनी गृहस्थी बसाना शुरू करता है। स्थायित्व की तलाश लगभग पूरी होती है, लेकिन अब उन्हें बूढ़ा करार दे कर नौकरी से बाहर करने की नई परंपरा सी शुरू हो गई है। हालांकि ऐसा कहते हुए कई श्रमिक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
इसी उम्र की सीमा तय कर बिजली विभाग ने अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है। ये अलग बात है कि शुरूआत संविदा कर्मियों संग हो रही है। पहले चरण में नौ संविदा कर्मचारियों को सेवा मुक्त करने का प्रस्ताव बिजली विभाग की ठेका कंपनी ने मुख्य अभियंता जबलपुर को भेजा है।
जानकारी के अनुसार नगर संभाग दक्षिण, विजय नगर संभाग में कार्यरत 9 कर्मचारियों को प्राइमवन ठेका कंपनी ने हटाने का आवेदन अधीक्षण यंत्री को भेजा है। इनके मुताबिक उक्त कर्मियों की उम्र 45 साल की सीमा को पार कर चुकी है।
हालांकि अभी इसी विभाग के नियमित कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल ही है लेकिन संविदा श्रमिकों को 45 साल की उम्र में हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बड़ी बात ये भी है कि इन श्रमिकों को सेवा मुक्ति के दौरान या उसके बाद किसी अन्य तरह का कोई लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में कंपनी का कहना है कि 45 साल की उम्र के बाद उनकी कार्य क्षमता घट जाती है।
बिजली कंपनी की इस कार्रवाई का संविदा कर्मचारियों के पक्ष में कई श्रमिक संगठनों ने विरोध किया है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि उम्र के इस पड़ाव में जब कर्मी कोई दूसरे किसी कार्य के बारे में सोच भी नहीं सकता, कंपनियां उसे काम से हटा रही हैं। ऐसा करना अमानवीय व्यावहार है जो संविदा श्रमिकों के साथ किया जा रहा है। हरेंद्र श्रीवास्तव ने कंपनियों से इस तरह के नियम में बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि अधिकांश कर्मचारियों की शादी हो चुकी है उनके बच्चें है लेकिन एकाएक नौकरी जाने से उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है। उन्हें दूसरी संस्था में भी काम करना मुश्किल होगा।

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